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देश के नाम एक सैनिक का “संदेश”,गर्व करने वाले वीडियो का विश्लेषण

तेजल ज्ञान उज्जैन। किसी भी देश के चरित्र के बारे में इस बात से पता चलता है कि वहां रहने वाले लोग अपने देश के प्रति कितने समर्पित हैं? और इस बात से भी कि वहां के लोग सिर्फ शिकायतें करने में रुचि रखते हैं या फिर वो समाधान का हिस्सा भी बनना चाहते हैं? आज हम ऐसे ही दो वीडियो का विश्लेषण करेंगे जो हमारे देश के असली चरित्र को बयान करते हैं। पहला वीडियो भारत और चीन की सीमा पर तैनात होने जा रहे एक बहादुर सैनिक का है। वीडियो में सैनिक बता रहा है कि हम चीन बॉर्डर पर जा रहे हैं। यहां सड़कें नहीं हैं। फिर भी इन कच्ची सड़कों के सहारे हमें वहां तक पहुंचना है। उसने मुस्कुराते हुए कहा कि आप लोग मस्त रहिए हम यहां सीमा पर तैनात हैं। उसने देशवासियों से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की है। ये वीडियो कब का है। कहां का है और किस सैनिक का है ये हम आपको सुरक्षा की दृष्टि से नहीं बताना चाहते, लेकिन ये सैनिक इसमें जो बातें कह रहा है उसे सुनकर लगता है कि ये हाल ही का वीडियो है। आपने देखा कि ये सैनिक कैसे शिकायत करने की बजाय मुस्कुराते हुए अपनी बात कह रहा है और मुस्कुराते हुए ही देशवासियों से चीन के बहिष्कार की अपील भी कर रहा है। लेकिन इस सैनिक का ये वीडियो कोई वायरल नहीं करेगा। कोई इसे नए भारत का पोस्टर बॉय नहीं बनाएगा और कोई इसकी अपील को गंभीरता से नहीं लेगा, और यहां तक कि कुछ लोग कहेंगे कि सैनिकों को अपना काम करना चाहिए और इस तरह से वीडियो बनाकर संदेश नहीं देने चाहिए, भाषणबाजी नहीं करनी चाहिए।

इसके विपरित आपको वर्ष 2017 में BSF के एक जवान तेज बहादुर यादव को वो वीडियो याद होगा जिसमें वो सैनिकों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर शिकायत कर रहा था। तेज बहादुर ने एक वीडियो बनाकर ये आरोप लगाया था कि सेना के उच्च अधिकारी जवानों के साथ अन्याय करते हैं और कई बार जवानों को भूखे पेट सोना पड़ता है। इसके बाद इस पूरे मामले की जांच हुई और तेज बहादुर यादव को BSF से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन मोर्चे तैनात होकर, शिकायतें करने वाला ये सैनिक उस समय हमारे देश के बुद्धिजीवियों, कुछ पत्रकारों और विपक्षी नेताओं के बीच पोस्टर बॉय बन गया था। इन लोगों ने इसे कंधों पर बिठा लिया था। और इसे नरेंद्र मोदी को हराने में सक्षम चेहरे के तौर पर प्रमोट किया था।

हमारे देश के विशेष विचारधारा वाले लोगों ने तेज बाहुदर यादव के चरित्र पर लगे दागों की परवाह नहीं कि और इन दागों को अच्छा मानते हुए उसे सत्ता विरोध का चेहरा बना दिया। लोगों ने तेज बहादुर यादव के तमाम वीडियोज को खूब शेयर किया, सेना और सरकार पर सवाल उठाए उन्हें जमकर कोसा और समाजवादी पार्टी ने तो तेज बहादुर को वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का टिकट तक दे दिया। हालांकि चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज कर दिया था। लेकिन नेताओं ने तेज बहादुर का साथ नहीं छोड़ा और वर्ष 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी उसे जन नायक जनता पार्टी की तरफ से टिकट दिया गया और BSF से बर्खास्त इस सैनिक ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ चुनाव लड़ा और हार गया।

तेज बहादुर यादव को हमारे देश के टुकड़े-टुकड़े गैंग ने जो प्रसिद्धी दिलाई वो हमारे देश के असली चरित्र को बयान करती है। जबकि एक बहादुर सैनिक जब अपने दिल की बात कहता है और देशवासियों से साथ देने की अपील करता है तो कोई उसे ऐसी लोकप्रियता नहीं देना चाहता। बल्कि कुछ लोग नसीहत देते हैं कि सैनिकों को सिर्फ अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए। ये विरोधाभास ही हमारे देश की सबसे बड़ी कमजोरी है. और जब दुश्मन को इस विरोधाभास का आभास हो जाता है तो वो खुशी खुशी भारत को तोड़ने के सपने देखने लगता है।।

यह जानकारी इंटरनेट द्वारा ली गई है।

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