तेजल ज्ञान राजस्थान। जो व्यक्ति अपने समाज का हित चाहता है वो अपने साथ वालों को भी साथ लेकर चलता है तभी समाज मजबूत होता है। मतलब के लिये किसी के साथ लगने या समर्थन करने से किसी भी समाज का भला नहीं होता है।
मैंने जाट समाज का हित चाहा इसलिये जाटों के साथ चलने व रहने वाली किसी भी कौम के खिलाफ कमेंट नहीं किया। जहां जिस कौम को हमारी जरूरत पड़ी वहां हम उस कौम के साथ खड़े थे। अगर किसी से चूक हुई हो तो भी हमनें गलती नहीं माना और उनके साथ खड़े रहे।
गुर्जरों ने ओबीसी से जाटों को बाहर करने की मांग की और कहा कि जाटों को बाहर करने पर हमें अलग आरक्षण की जरूरत नहीं। फिर भी गुजरों ने अलग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया तो जाटों ने उनका साथ दिया।जबकि जाटों को ओबीसी में शामिल करने के लिये राजस्थान के सभी सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये लेकिन स्व.राजेश जी पायलट ने नहीं किये उसका भी जाटों ने बुरा नहीं माना।1998 में जब स्व.परसराम जी मदेरणा को विधायकों की जरूरत थी तब एक भी गुर्जर परसराम जी के साथ नहीं था लेकिन सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री के लिये दावेदारी की तो 10 जाट विधायक सचिन पायलट के साथ थे। कहने का मतलब जाट पूरे किसान वर्ग को साथ लेकर चलने में विश्वास रखता है लेकिन वर्ग की जातियां सिर्फ संघ की तरह जाटों को काम में लेना चाहती है। जाट तो गूजरों से भी इतना ही स्नेह रखते हैं जितना मालियों से रखते हैं। अब कुछ लोग फेसबुक व टयूटर पर ट्रेड चला रहे हैं कि जाट-गुर्जर-मीणा भाईचारा यह लोग जाटों, गूजरों व मीणाओं को कमजोर कर रहे है यह दूसरों को बता रहे हैं कि इतने साल तो हम एक दूसरे के दुश्मन थे अब भाई बने है। दूसरी बात जाट-गुर्जर-मीणा भाई है तो किसान वर्ग की दूसरी जातियां, SC व अल्पसंख्यक आपके दुश्मन है? एक बात और बता दूं आपका भाईचारा तो सिर्फ अशोक गहलोत को हटाने तक है मतलब स्वार्थ सिद्ध होने तक है। लेकिन जो हमारे जैसे लोग जो जाट समाज का हित चाहते है उनका भाईचारा गुर्जर, मीणा, यादव, माली, पटेल, अंजना, धाकड़, राईका, विश्नोई तमाम किसान जातियों, SC व अल्पसंख्यक के साथ सदियों से था, है, और रहेगा। हमारा भाईचारा स्वार्थ का नहीं है हमारा भाईचारा हमारी सामूहिक संस्क्रति, रोजगार, तीज-त्यौंहार व रहन सहन की वजह से है।
आप किसी के साथ रहो। कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन यह कहकर जाटों को गुमराह मत करो कि अशोक गहलोत जाट विरोधी है। राजस्थान में एकमात्र व्यक्ति मैं ही हूँ जो कह सकता हूँ कि अशोक गहलोत जाट विरोधी है क्योंकि 2011 में जब महिपाल मदेरणा को फंसाया गया था तब मैं अकेला ही अशोक गहलोत के खिलाफ बोला था अगर कोई दूसरा व्यक्ति बोला हो तो उसका नाम प्रूफ सहित सार्वजनिक करो। मेरे साथ में बाद में लोग जुड़ते गये लेकिन किसी नेता ने हमारा साथ दिया हो तो नाम सार्वजनिक करो।
दूसरी बात अशोक गहलोत जाट विरोधी होने से सचिन पायलट जाट हितैषी कैसे हुआ? जाटों के लिये सचिन पायलट द्वारा किये गये एक दो काम बताओ।
जो विधायक या नेता यह कहकर अशोक गहलोत का विरोध कर रहे हैं कि गुलामी नहीं करेंगे या हम स्वाभिमानी है तो यह झूठ बोल रहे हैं। राजनीति में बिना गुलामी से टिकट लाने वाले एक ही व्यक्ति है महाराजा विश्वेन्द्र सिंह बाकी के टिकट ही गुलामी से तय होते है। रही बात स्वाभिमान की तो राजस्थान विधानसभा में एक भी कांग्रेसी स्वाभिमानी होता तो किसानों के 10 दिन में कर्जा माफी नहीं होने पर सत्ता को ठोकर मार देता।
जो जाट वास्तव में ही जाटों का हित चाहता है वो संघ की कठपुतली कभी नहीं बनता। अगर संघ आप को ढाल बनाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है तो उसके सामने शर्तें ऐसी रखो की पूरे किसान वर्ग का हित हो जाये। मसलन केंद्र व राज्य सरकार डीजल पर उतना ही टेक्स लगाये जितना मनमोहन सिंह की सरकार के समय था,25 करोड़ हमें देने की बजाय 50 करोड़ टिड्डी को खत्म करने पर खर्च करके टिड्डी खत्म कर दो,भारतमाला प्रोजेक्ट को रद्द कर दो, किसी भी कृषि जिंस का आयात नहीं किया जाये, कृषि से पैदा मसलों का निर्यात करो। संघ किसान, SC, ST व अल्पसंख्यकों का हित कभी बर्दास्त नहीं करेगा। ऐसा करोगे तो संघ कभी आपको कठपुतली नहीं बना सकता। संघ की कठपुतली वही बन सकते हैं जो अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति को अधिक महत्व देते हैं।
2005 में संघ RPSC का चेयरमैन जाट को नहीं बनाना चाहता था। वसन्धरा मेडम ने सी आर चौधरी को बनाया। 2015 में संघ जाटों का आरक्षण खत्म करना चाहता था। वसुंधरा मेडम ने नहीं होने दिया, संघ भरतपुर धौलपुर के जाटों का आरक्षण नहीं चाहता था। वसुंधरा मेडम ने दिया, संघ रामनारायण डूडी को राज्यसभा में नहीं भेजना चाहता था। वसुंधरा मेडम ने भेजा,संघ जैसलमेर के चुटरसिंह एनकाउंटर में SP राजीव पचार को निलंबित करवाना चाहता था। वसन्धरा मेडम ने नहीं किया। संघ अजमेर उपचुनाव में सांवरलाल जी के बेटे को टिकट नहीं देना चाहता था।वसुंधरा मेडम ने दिया। चुनाव हार जाने के बाद विधायक का टिकट देकर जिताया। संघ नहीं चाहता कि जाट अधिकारी पावर में रहे लेकिन मेडम ने जाट अधिकारियों को सबसे अधिक पावर दिया।7 जिलों के कलेक्टर और 11 जिलों के SP जाट थे। वसुंधरा मेडम से संघ की नाराजगी का कारण ही जाट व मुसलमान है क्योंकि मेडम के शासन में न तो मुसलमानों के साथ भेदभाव हुआ और न कहीं संप्रदायक दंगे हुये।
इसलिये जाटों,गूजरों व मीणाओं को जो लोग गुमराह करके बरगला रहे है उन्होंने इन समाजों के लिये क्या किया उसका भी जरूर आंकलन करें।
जाट समाज मे जो जाट जाट कर रहे हैं ऐसे लोगों में से 90% लोगों से तो उनके परिवार वाले दुःखी है यह समाज का क्या खाक भला करेंगे। एक एक कि कुंडली चेक कर लेना सब पता चल जायेगा।
आपका शुभचिंतक रामनारायण चौधरी राजस्थान