तेजल ज्ञान झुंझुनूं। कहते है हर सफल व्यक्ति के पीछे औरत का हाथ होता है यह साबित हुआ है झुंझुनूं में, यूपीएससी के आज घोषित हुए परिणाम में 234वीं रैंक प्राप्त करने वाले झुंझुनूं के निकास खीचड़ भी अपनी प्राइवेट जॉब में इतना घुलमिल गए थे कि उन्होंने अपने सपनों को छोड़ दिया। लेकिन क्लासमेट रही उनकी पत्नी, जब उनके जीवन में जीवनसंगिनी के रूप में आई तो उन्होंने पति को हौंसला दिया और उन्हें सपनें पूरा करने के लिए प्रेरित किया है, यही कारण है कि पहले प्रयास में आईपीएस बनने वाले निकास खीचड़ अब आईएएस बन गए है। झुंझुनूं के कुमावास गांव के रहने वाले निकास खीचड़ ने नौंवीं कक्षा तक गांव की सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद निकास खीचड़ आगे की स्कूलिंग करने के लिए झुंझुनूं आए। जहां उनकी क्लासमेट रही नेहा जानूं नेहा क्लासमेट होने के साथ-साथ निकास की अच्छी दोस्त भी थी और अपने दोस्त के सपनों को बखूबी जानती थी, लेकिन स्कूलिंग के बाद निकास खीचड़ आईआईटी करने दिल्ली चले गए और परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का सपना छोड़ दिया. आईआईटी करने के बाद वे दिल्ली में ही जॉब करने लग गए, लेकिन तीन साल बाद जब उनकी क्लासमेट नेहा जानूं उनकी जिंदगी में जीवन संगिनी बनकर आने को तैयार थी तो 2018 में नेहा ने निकास के सपनों को फिर जगाया और उन्हें सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए राजी किया। निकास ने जॉब के साथ-साथ तैयारी की तो उनकी 518वीं रैंक आई और उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस में मणिपुर कैडर मिला, लेकिन ना तो इससे निकास खुश थे और तब तक उनकी पत्नी बन चुकी क्लासमेट नेहा भी, क्योंकि नेहा जानती थी कि निकास का सपना क्या है। नेहा ने फिर दोस्त से पति बन चुके निकास को एग्जाम देने के लिए तैयार किया। निकास खीचड़ की पत्नी नेहा जानूं ने बताया कि वह स्कूल टाइम से निकास को जानती है, निकास की खूबियों के बारे में और सपनों के बारे में वे जानती थी। जब उनकी शादी थी, वो 8 जून 2019 का दिन था और इसी दिन से पांच दिन पहले यूपीएससी का प्री एग्जाम था। निकास को शादी की चिंता थी, लेकिन हमने मैनेज करके शादी के दौरान भी निकास को डिस्टर्ब नहीं किया वहीं, शादी के बाद भी सितंबर में मैन्स का एग्जाम था। इसलिए निकास तैयारी करना चाहते थे। इसलिए शादी के बाद बाहर घूमने जाने का भी बना बनाया प्लान कैंसल किया। यही नहीं निकास को पूरी तरह से तैयारी के लिए फ्री करने के लिए उनकी पत्नी नेहा ने ही घर का जिम्मा संभाला और रिश्तेदारियों में आने-जाने की बात हो या फिर कोई और काम पत्नी नेहा ने निकास को बिना डिस्टर्ब किए खुद सारी जिम्मेदारियां संभाली. पत्नी नेहा बताती है कि उनके पति आईएएस डिजर्व करते है। ये वे जानती थी, तभी आईपीएस में सलेक्ट होने के बाद भी उन्होंने उनका हौंसला बढाया। इधर, निकास खीचड़ की भी अपनी उपलब्धि से काफी खुश है. उन्होंने बताया कि बचपन से सपना था कि वे सिविल सर्विसेज में जाए, लेकिन कुछ कारणों के कारण उन्हें प्राइवेट जॉब करना पड़ा और सपना भी छोड़ना पड़ा, लेकिन क्लासमेट एक किस्मत के रूप में उनकी जिंदगी में आई और आज वे इस मुकाम तक पहुंचे है. उसमी पत्नी नेहा की बड़ी भूमिका है. उन्होंने कहा कि उनका हमेशा से ही यह लक्ष्य रहा है कि वे हर व्यक्ति को खाना, शिक्षा और चिकित्सा पहुंचा सके. अब शायद वे ये कर सकेंगे. उन्होंने युवाओं से कहा कि वे टारगेट्स को तय कर उस पर काम करें और जब तक ना मिले तब तक उन्हें पाने की जिद करें. टारगेट पाने के बाद भी यह ना भूलें कि उन्हें सेवा भावना के साथ काम करना है। निकास बेहद साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता शीशराम किसान है तो उनकी मां विद्यादेवी गृहिणी. निकास का बड़ा भाई विकास एयरफोर्स में है. निकास बताते है कि उनकी पत्नी के की तरह उसके सास-ससुर ने भी एक प्रेरणा की भूमिका अदा की. उनकी सास सुधीरा तोगड़ा कलां स्कूल में टीचर है तो ससुर सुरेंद्र जानूं दिल्ली में टीचर. उन्होंने भी एक दिशा दिखाने में योगदान दिया. निकास फिलहाल मणिपुर में आईपीएस है।
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