तेजल ज्ञान राजस्थान। वर्तमान जाट समाज अपने अस्तित्व को बचाने की असफल लड़ाई लड़ रहा है लेकिन लड़ाई के तरीके गलत होने की वजह से लगातार कमजोर हो रहा है। जो जाट संगठन जाट समाज के लिये काम करने का ढोंग कर रहे हैं असल में वो जाट समाज को कमजोर करके किसी और को मजबूत कर रहे हैं।
👉🏿जाट समाज को मजबूत करने के लिये सबसे पहले जाट संस्क्रति, जाट संस्कार व जाट इतिहास का गहन अध्ययन करना जरूरी है। जैसे जैसे इन बातों का ज्ञान होगा वैसे वैसे जाट काल्पनिक धर्म से दूर होता जायेगा और एक दिन पक्का जाट बन जायेगा।
👉🏿जाट बनने का सीधा साधा अर्थ है प्रकृति के नजदीक आना। प्रकृति में कोई पाखण्ड नहीं, कोई अंधविश्वास नहीं, कोई कुरीति नहीं, गलत खान-पान नहीं। मतलब जाटों को बर्बाद करने वाले सभी कारणों से पीछा छूट जायेगा।
👉🏿काल्पनिक धर्म की चपेट में आने से जाट आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।
👉🏿जाटों की कमाई का अधिकांश धन काल्पनिक धर्म के कर्मकांडों पर खर्च हो जाता है जिससे जाट कमजोर हो रहे हैं।
👉🏿चूंकि काल्पनिक धर्म झूठ व दिखावे पर टिका हुआ है तो उसको मानने व धर्म में अपनी पहचान बनाने के चक्कर में झूठ व दिखावे का सहारा लेता है जिसके कारण जाट सच बोलने व वास्तविकता के साथ जीने का गुण खोता जा रहा है। इस दिखावे के चक्कर में अपना शुद्ध खान-पान भूलकर कर बाजार की अशुद्ध व मिलावट युक्त भोजन की ओर आकर्षित हो रहा है जिससे शारीरिक रूप से निर्बल व अनेक बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे है ।
👉🏿काल्पनिक धर्म का अन्धानुसरन करने के कारण जाट सांप्रदायिक बनता जा रहा है जातियों में ऊंच नीच का भेदभाव पालने लगा है जिसके कारण जाटों के साथ प्राकृतिक व सामाजिक रूप से साथ रहने वाली जाति व धर्म के लोग जाटों से दूरी बनाने लग गये जिससे जाट सामाजिक रूप से भी पिछड़ने लग गया है।
👉🏿काल्पनिक धर्म को मजबूत करने के चक्कर में जाट कब कमजोर हो गया जाटों को पता ही नहीं चला। जिस काल्पनिक धर्म को जाट मजबूत कर रहा है उस धर्म की रचना करने वालों का इस धरती पर सबसे बड़ा दुश्मन जाट है और जाट उन्ही को मजबूत करने के चक्कर में सदियों से जाटों के साथ रहने वाले धर्म व जातियों के समर्थन को खो चुका है। अब जो सदियों से दुश्मन थे उन्होंने जाटों का इस्तेमाल तो कर लिया लेकिन जाटों को निचोड़ कर फेंक दिया और इधर जिनके साथ सदियों से जाट थे उनको जाटों ने छोड़ दिया। अब जाट न इधर के रहे और न उधर के रहे। राजनीति में अकेले पड़ गये इसलिये पावरलैस होकर सिर्फ चापलूसी से व्यक्तिगत स्वार्थ साधने तक सीमित हो गये।
👉🏿आजादी के बाद तत्कालीन समाज सुधरकों व नेताओं ने जाटों को शिक्षा की तरफ ले जाने का प्रयास किया जिसके सुखद परिणाम समाज को मिले। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से जाट समाज सुधारक व नेताओं ने समाज को काल्पनिक धर्म की ओर ले जाने का प्रयास किया जिसके कारण आज जाट समाज के अधिकतर युवा पढ़ाई से ज्यादा ध्यान कथा वाचन, धार्मिक स्थल निर्माण, धार्मिक यात्राओं, पैदल यात्राओं, कावड़ यात्राओं, भजन संध्याओं पर दे रहे है जिसके कारण जाट शैक्षणिक रूप से पिछड़ रहे हैं।
👉🏿सबसे बड़ा जाटों का नुकसान यह हुआ कि काल्पनिक धर्म के लोगों के बहकावे में आकर हमने ही धर्म, संस्क्रति, संस्कार व इतिहास को अपने ही हाथों खत्म कर लिया है।
👉🏿जाट का धर्म अपने कर्म की पूजा करना है। खेती करते है तो पूर्ण रूप से खेती के प्रति आस्था व समर्पण ही जाट का धर्म है। खेती की उपज की पूजा करना, खेती की अच्छी पैदावार के कारक हवा, पानी, धरती, चांद-सूरज की पूजा करना, खेती की अधिक पैदावार के तरीके बताने वाले व किसानों की रक्षा करने वाले महापुरुषों के प्रति कृतयज्ञता प्रकट करना है जिसे हमारे पुरख़े शिद्दत से निभाते आये हैं। अगर जाट कोई दूसरा धंधा या नौकरी करता है तो उस धंधे के प्रति वफादार होना ही उसका धर्म है।
👉🏿आज विश्व पटल पर देखेंगे तो जो देश किसी काल्पनिक धर्म में विश्वास नहीं करते है उन देशों में विकास हो रहा है, अमन चैन है, शांति है और सुखी है। यह देश जब किसी काल्पनिक धर्म की चपेट में थे उस समय जाट बहुत विकसित, सुखी व संपन थे क्योंकि उस समय जाट किसी काल्पनिक धर्म को नहीं मानते थे। आज जाटों की दुर्दशा के पीछे सबसे बड़ा कारण काल्पनिक धर्म है।
👉🏿आज राजनेता, नौकरशाह, पूंजीपति अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये इस काल्पनिक धर्म को मानने के लिये मजबूर है और इन मजबूर लोगों की मजबूरी है कि जाटों को काल्पनिक धर्म की ओर लेकर आना।जाटों के आइकॉन ही यह लोग है जो जाटों को गर्त में धकेलकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है।
👉🏿इस काल्पनिक धर्म में बने रहने की पहली शर्त है कि जाटों के वास्तविक इतिहास को पैरों तले कुचलो और हमारे काल्पनिक व झूठे इतिहास को अपने सिर पर ढ़ोवो। हमारे लोग यह काम बड़ी ही शिद्दत से कर रहे हैं। अपनी संस्क्रति,अपने संस्कार व अपने इतिहास को बुरी तरह से रौंदकर इन झूठों की दुकान सजा रहे हैं।
👉🏿भारत के इतिहास के कण कण में जाटों का इतिहास, संस्क्रति व संस्कार थे लेकिन इस काल्पनिक धर्म ने इतिहास को नष्ट कर दिया, संस्कारों व संस्क्रति को चुरा कर अपनी संस्क्रति से जोड़कर जाटों को नंगा कर दिया। जिसके कारण आज यह लोग छाती ठोकर जाटों को कहते है कि तुम्हारा इस देश में कुछ नहीं है।इस बात पर सबसे अधिक जाट ताली बजाते हैं।
👉🏿अब इस कौम को बचाने का कोई प्रयास करता है, जाट इतिहास की बात करता है, जाट संस्क्रति की बात करता है या जाट संस्कारों की बात करता है तो काल्पनिक धर्म के दल्ले बने बैठे जाट उसको धर्म विरोधी, देशद्रोही, जाट की औलाद ही नहीं कह कह कर घर बिठा देते है ताकि जाटों को पूर्ण रूप से गुलाम बनाने में कोई जाट रोड़ा नहीं बने।
👉🏿धरती पर जो सुख है वो जाट धर्म की पालना करने से प्राप्त किये जा सकते हैं। संयुक्त परिवार से बड़ा कोई सुख नहीं वो जाट संस्क्रति का हिस्सा है। सभी जाति व धर्म के लोगों के साथ परिवार जैसा व्यवहार ही शांति का कारण है, घर आया महेमान भूखा न जाये आत्मसंतुष्टि का कारण है, अपनी कमाई में जीव जंतु से लेकर गरीब तक का हिस्सा मानने से भाईचारा मजबूत होता है।
👉🏿अभी करोना महामारी के दौरान आप सब लोगों ने देखा होगा कि जो जाट संस्क्रति, जाट संस्कार के नजदीक थे उनके करोना नजदीक नहीं आया। हाथ नहीं मिलाना जाट संस्क्रति का हिस्सा है जाट हाथ जोड़कर अभिवादन करता है इस संस्क्रति को कोई अपनी संस्क्रति बताता है वो दुनिया का सबसे झूठा व्यक्ति है। जाट प्रकृति के नजदीक रहता है और करोना महामारी के दौरान लोग प्रकृति के नजदीक भाग रहे थे, शुद्ध खान पान से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जाटों का खानपान शुद्ध है जिसके कारण करोना किसी जाट के पास फ़टका तक नहीं।
👉🏿जब इतना सुख, सम्रद्धि, प्रेम व अपनापन जाट संस्क्रति, जाट संस्कारों व इतिहास में भरा पड़ा है तो काल्पनिक धर्म की पुंछ पकड़कर बर्बाद होने की क्या जरूरत है।
👉🏿जाटों को अपना अस्तित्व बचाकर रखना है, प्रेम व भाईचारा बनाये रखना है, शरीर को फिर से बलिष्ठ बनाना है, परिवारों व रिश्तों में मजबूती लानी है तो अपनी संस्क्रति, संस्कार व इतिहास की ओर चलना होगा। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो जगह जगह जाटों को गुमराह करके काल्पनिक धर्म की ओर ले जाने का ढोंग बन्द कर देना चाहिये।

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