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आईसीएआर-एसआरएफ की राष्ट्रीय परीक्षा मे नागौर की बहू मन्जू चौधरी ने ऑल इंडिया में प्रथम स्थान प्राप्त कर देशभर में रचा इतिहास

परिवार में छाई खुशियां, नागौर के साथ राजस्थान का देशभर में जाट समाज का बढ़ाया मान

तेजल ज्ञान ब्यूरो दिनेश कडवा का मंजू चौधरी से कामयाबी को लेकर इंटरव्यू
कुचामन सिटी।(नागौर ब्यूरो/दिनेश कडवा)
हाल ही में जारी आईसीएआर-एसआरएफ की राष्ट्रीय परीक्षा मे नागौर की बहू मन्जू चौधरी ने ऑल इंडिया में प्रथम स्थान प्राप्त कर देशभर में इतिहास रच दिया।जानकारी के अनुसार बता दे कि ग्राम शेषम,सीकर की बेटी व नागौर जिले के बेगपुरा, कुचामन सिटी की बहू मंजू चौधरी ने इस कामयाबी का सबसे ज्यादा श्रेय अपनी नन्ही बेटी,पेरेंट्स व ससुराल पक्ष को दिया है। सम्पूर्ण भारत वर्ष में नागौर-सीकर के साथ राजस्थान का मंजू चौधरी ने मान बढ़ाया। साथ ही बता दे जाट समुदाय की इस बेटी ने अपने दोनों परिवारों के साथ जाट समुदाय का भी पूरे भारत मे मान सम्मान बढ़ाया है।परिवार में इस कामयाबी को लेकर काफी खुशियां देखने को मिली। मंजू चौधरी को शुभकामनाएं व बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मिठाईया खिलाकर उनको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

तेजल ज्ञान ब्यूरो, नागौर दिनेश कड़वा का मंजू चौधरी के साथ इस कामयाबी को लेकर इंटरव्यू

संवाददाता द्वारा प्रश्न : आपने प्रारम्भिक शिक्षा कहा से की ?

उतर: प्राथमिक शिक्षा कक्षा 1 से 4 तक गांव से की, आगे की पढ़ाई 7 से 8वी तक शारदा स्कूल लोसल तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा शेखावाटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल लौसल से की।

प्रश्न : आगे की पढ़ाई आपने कहा से पूर्ण की ?

उतर : मेने बी.वी.एससी. तथा ए.एच. राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर से की। उसके बाद पी.जी.(M.V.Sc.) दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय,मथुरा से की। पी.जी. फार्मेकोलॉजि एन्ड टोक्सीकोलॉजि से की।

संवाददाता प्रश्न। इस उपलब्धि के पीछे किसका आशीर्वाद प्राप्त हुआ ?

उत्तर। मेरि उपलब्धि के पीछे मेरे पेरेंट्स,ससुर,पति ओर स्पेशली मेरि पुत्री का योगदान रहा।

प्रश्न। इस क्षेत्र में आने के लिये आपने कब विचार किया था ?

उत्तर। मेरा सपना एमबीबीएस करने का था पर मे 1 नम्बर से चूक गई। उसके बाद मेने वेटेनरी जोइन की ओर मुझे कोई अफसोस नही था इस फील्ड मे आने का बल्कि अब मेरा सपना यही है की इसी फील्ड मे, मैं अपना योगदान दूँ।

प्रश्न। आपकी रूचि
जैसे खेल,म्यूजिक सुनना ओर भी कुछ
उतर : मुझे किताबें पढना पसंद है लेकिन जब कभी थकान महसूस होती है तो म्यूज़िक सुन के अपने आप को तरोताजा महसूस करती हूँ।

प्रश्न। आपके परिवार में पहले भी क्या इस उपलब्धि तक पहुँचे, क्या मेसेज देना चाहेंगे आने वाली पीढ़ी को ?
उतर: नहीं, हमारे परिवार मे सबसे ज्यादा पढाई उच्च स्तर तक मैने ही पूर्ण की है।
इसमे मेरे पति ओर मेरे ससुर जी का बहुत सहयोग रहा। उन्होने हमेशा आगे पढने को मोटीवेट किया।अक्सर देखा जाता है की बहुत सी लड़कियाँ शादी के बाद या बच्चा होने के पश्चात पढ़ाई छोड़ देती है लेकिन मेरी शादी बी.वी.एस-सी. तथा ए.एच. के प्रथम वर्ष मे ही शादी हो गई थी लेकिन मेने मेरी 6 महीने की बच्ची को ससुराल पक्ष के पास छोड़कर पढ़ाई जारी रखी ओर मे सन्देश देना चाह्ती हूँ बाकी लड़कियों को भी की शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखे। अगर आप ने ठान लिया है किसी लक्ष्य को पाने का तो आपको कोई नही रोक सकता है।

प्रश्न।आपके परिवार व ससुराल में कौन कौन जिनका योगदान रहा ?
उत्तर।मेरे पिता बिरमाराम गारी, माता लाली देवी,भाई राकेश कुमार, बहन पुष्पा गारी, ससुर कानाराम कुलरिया, सास राधा देवी, पति अशोक कुमार कुलरिया, पुत्री हर्षिता चौधरी

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