तेजल ज्ञान चण्डीगढ़।
ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के राष्ट्रीय डैलीगेट व राज्याध्यक्ष चण्डीगढ़ एवं पंजाब मण्डी बोर्ड के निदेशक राजिन्दर सिंह बडहेड़ी ने पंजाब सरकार से मांग की है कि पंजाब एवं सिक्ख कौम की प्रगति में महत्त्वपूर्ण योगदान डालने वाले पंजाब के महान नेता सरदार बलदेव सिंह की यादगार बनाई जाए। श्री बडहेड़ी ने कहा कि सरदार बलदेव सिंह ने ननकाणा साहिब ऐजूकेशनल ट्रस्ट, गुरु नानक इन्जिनियरिंग कॉलेज लुधियाना व अन्य कई शैक्षणिक संस्थान की स्थापना समय वर्णनीय योगदान डाला था।

श्री बडहेड़ी ने बताया कि वह सरदार बलदेव सिंह ही थे, जिन्होंने पंजाब में 1947 में देश के बंटवारे के समय हज़ारों सिक्ख एवं पंजाबी परिवारों को निःशुल्क भूमि दे कर बसाया था। इसके अतिरिक्त मुंबई में खालसा स्कूल, ज़िला अम्बाला एवं रोपड़ में दर्जन के लगभग शैक्षणिक संस्थान प्रारंभ करवाए थे। पंजाब की राजधानी चण्डीगढ़ बनाने में भी उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रही थी।

यहां यह वर्णनीय है कि सरदार बलदेव सिंह देश के बंटवारे के समय 1946-47 में ऑला इण्डिया जट्ट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, जो 1906 में जट्ट समुदाय के कल्याण हेतु सुसंस्थापित की गई थी तथा जिस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टना अमरिन्दर सिंह, मुख्य मंत्री पंजाब हैं। श्री बडहेड़ी ने अपनी मांग के साथ यह सुझाव भी दिया है कि यदि पंजाब सरकार के पास फ़ण्ड की कोई कमी है, तो पंजाब मण्डी बोर्ड के सैक्टर 11 स्थित पंजाब मण्डी भवन का नाम बदल कर ‘सरदार बलदेव सिंह पंजाब मण्डी भवन’ कर दिया जाए तथा वहां सरदार बलदेव सिंह का आदमकद बुत स्थापित कर दिया जाए। मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के पास कृषि मंत्रालय भी है तथा ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं; अतः जट्ट समुदाय उन पर गर्वित भी महसूस करता है।