तेजल ज्ञान चण्डीगढ़ः
ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के वरिष्ठ नेता एवं कैप्टन अमरिन्दर सिंह के कट्टर समर्थक राजिन्दर सिंह बडहेड़ी, जो पंजाब मण्डी बोर्ड के निदेशक भी हैं, ने एक प्रैस् विज्ञप्ति में कहा है कि श्री सुनील जाखड़ की समय से पूर्व पंजाब विधान सभा चुनाव करवाने का परामर्श अनुपयुक्त है। उन्होंने कहा कि इस समय यह दरुस्त होगा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह मुख्य मंत्री का पद त्याग कर सुखजिन्दर सिंह रन्धावा को मुख्य मंत्री बनाएं तथा साथ ही सुनील जाखड़ भी कांग्रेस के राज्याध्यक्ष का पद श्री लाल सिंह को सौंप कर उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाएं। श्री बडहेड़ी ने यह परामर्श देते हुए कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह व सुनील जाखड़ 26 नवम्बर को किसान मोर्चे का नेतृत्त्व संभालें, तभी मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा सकेगा। श्री बडहेड़ी ने कहा कि इसके साथ ही पंजाब के सभी राजनीतिक दलों के विधायक भी दिल्ली में धरना दें। श्री बडहेड़ी जून-1984 के आप्रेशन ब्लू-स्टार से कैप्टन के कट्टर समर्थक हैं। उन्होंने 14 अक्तूबर, 1984 को कैप्टन के नेतृत्त्व में श्री अकाल तख़्त साहिब एवं श्री हरिमन्दिर साहिब के सरोवर की कार-सेवा में भाग लिया था।
यहां यह वर्णनीय है कि बडहेड़ी कांग्रेस पार्टी के कभी सदस्य नहीं रहे परन्तु प्रत्येक चुनाव में कैप्टन का समर्थन करते रहे हैं। जब कैप्टन ने 1988 में पन्थक अकाली दल बनाया था, तो बडहेड़ी को यूथ अकाली दल की ज़िला रोपड़ इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था तथा जब कैप्टन को 5 जून, 2013 को ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, जो जट्ट समुदाय का 114 वर्ष पुराना संगठन है, तो कैप्टन ने बडहेड़ी को जट्ट महा सभा की चण्डीगढ़ केन्द्रीय शासित प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके अतिरिक्त श्री बडहेड़ी अकाली दल-1920 के सचिव एवं मुख्य प्रवक्ता होने के साथ-साथ रवि इन्दर सिंह के राजनीतिक सचिव भी हैं। यहां वर्णनीय है कि सरदार रवि इन्दर सिंह व कैप्टन अमरिन्दर सिंह गहरे मित्र हैं। सरदार रवि इन्दर सिंह पक्के अकाली हैं परन्तु कैप्टन 1997 से पक्के कांग्रेसी हैं।
श्री बडहेड़ी ने कहा कि किसान मोर्चे को सफ़ल करने में कैप्टन ही सहायक हो सकते हैं अन्य किसी भी पार्टी का नेा इस मोर्चे को जीतने के योग्य नहीं। श्री बडहेड़ी ने सुखबीर बादल एवं भगवन्त मान को अपील करते हुए कहा कि दोनों नेताओं अपने-अपने पार्टी अध्यक्ष के पद त्याग कर कैप्टन साहिब का साथ दें तथा अपने स्थान पर किन्हीं अन्य उपयुक्त नेताओं को वह पद संभाल दें। जब तक किसानों की मांगें मानीं नहीं जातीं, उन्हें अपने डेरे दिल्ली में ही लगा कर रखने चाहिएं तथा नरेन्द्र मोदी को कृषि अधिनियम को रद्द करने हेतु विवश कर दें। यह आम लोगों की राय है तथा इसे मोदी को दबाने हेतु कोई विकल्प न समझा जाए।
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