
तेजल ज्ञान चण्डीगढ़ः
प्रसिद्ध पंजाबी गायक सरदूल सिंह सिकन्दर की अकस्मात मृत्यु पर प्रमुख सिक्ख किसान नेता व ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के चण्डीगढ़ राज्याध्यक्ष तथा महासभा के राष्ट्रीय डैलीगेट स. राजिन्दर सिंह बडहेड़ी ने गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि श्री सरदूल सिकन्दर की पत्नी अमर नूरी के परिवार से उनके विवाह से भी पूर्व उनके पारिवारिक संबंध रहे हैं। ‘परमात्मा उन्हें यह असह दुःख झेलने का बल बख़्शें।’ स. बडहेड़ी ने सरदूल सिकन्दर के देहांत को कभी पूर्ण न हो सकने वाली क्षति बताते हुए कहा कि उनके पंजाबी मातृ-भाषा, पंजाबियत व पंजाबी संस्कृति में महान योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ‘आज प्रत्यक आंख ग़मग़ीन है, हर एक हृदय अत्यंत दुःखी है।’
स. बडहेड़ी ने कहा कि सरदूल सिकन्दर का देहांत हम सभी के लिए असहनशील दुःख है। वह पिछले दिनों कोविड-19 पाज़िटिव पाए गए थे तथा मोहाली के एक अस्पताल में उपचाराधीन थे। पंजाबी संगीत को उनका योगदान बहुत बड़ा है, जो सदा कई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। ‘मेरी प्रार्थनाएं सिकन्दर जी के परिवार के साथ हैं, वाहेगुरु जी बिछड़ी आत्मा को अपने चरणों में स्थान बख़्शें।’
स. बडहेड़ी ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान पुरानी यादें साझी करते हुए बताया कि उन्होंने सरदूल सिकन्दर को अपने मित्र प्रोफ़ैसर डॉ. नाहर सिंह द्वारा 28 फ़रवरी, 1982 को अपने गांव बडहेड़ी बुलाया था। वहां टूर्नामैन्ट के दौरान उन्होंने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करना था। डॉ. नाहर सिंह उनके साथ खन्ना के एएस कॉलेज में पढ़ते थे।
स. बडहेड़ी ने आगे बताया कि सरदूल सिकन्दर की पत्नी अमर नूरी के पिता स्वर्गीय रौशन सिंह सागर की पुत्री हैं, जो मेरे स्वर्गीय पिता जत्थेदार अजायब सिंह बडहेड़ी के अत्यंत करीबी मित्रों में से थे।
उन्होंने यह भी बताया कि रौशन सागर मोहाली ज़िले के गांव मौली बैदवान के निवासी थे। पहले वह रौशन लाल हुआ करते थे परन्तु दसम पातिशाह श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के 300वें प्रकाश उत्सव के समय वह रौशन सिंह बन गए थे।