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संपादकीय :-“मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो कि कामयाबी शोर मचा दे।”

यह पंक्तियां उन लोगों पर एकदम फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने काम को बड़ी खामोशी व खूबसूरती के साथ अंजाम दिया और जब उन्हें सफलता मिली तो उसे दुनिया ने सराहा। जीवन के अनुभव भी विचित्र ही होते हैं।

पाया तो यही है कि जो न तो मेहनत करते हैं, न बुद्धि पर जोर डालते हैं और न ही किसी भी वस्तु या विचार को गंभीरता से लेते हैं, बस बजते ही रहते हैं, वे ही खूब चलते हैं। जो चलता है वही प्रचलित होता है। सिखाया तो यही गया था और अब भी यही सिखाया जाता है कि मेहनत का फल मीठा होता है पर पाया यह गया है कि कि ऊपर चढ़ते जाने कि लिए घटियापन का दामन थामना ही पड़ता है। समय के किस मोड़ पर मानव जीवन बाज़ार बन गया, मालूम नहीं, पर बना तो है यह पक्का है। श्रेष्ठ माने जाने वाले लोगों को भी देखा परखा और यही पाया कि जाने अनजाने में वे भी बड़ी सफ़ाई से घटियापन या खोखलेपन को छूते से रहते हैं।बजना है तो ढोल बनना ही पड़ेगा और ढोल बनना है तो खोखलेपन से कैसा परहेज़।

वह क्या करें जिनका अंतर्मन घटियापन और खोखलापन स्वीकार नहीं करता? माना यश तथा सम्मान आदि कामनाएं हैं अतः त्याज्य हैं। श्रमिक का न सही श्रम का सम्मान तो होना उचित है, निष्ठावान का न सही निष्ठा का सम्मान तो होना चाहिए,मानव का न सही मानवता सम्मान तो होना ही चाहिए पर ऐसा कुछ नहीं होता। ज्योतियाँ प्रज्वलित तो होती हैं पर भभक कर बुझ जाती हैं।

मेहनत व लगन से आपके लिए अपनी मंजिल पाना खासा आसान हो जाता है। साथ में अगर प्लानिंग व टाइम मैनेजमेंट भी हो, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।साइना नेहवाल, सुधा सिंह, सचिन तेंडुलकर, तान्या सचदेवा, दीपिका पल्लिकल, विश्वनाथ आनंद के नाम से भला कौन खेल प्रेमी परिचित नहीं होगा। 9 वर्ष की उम्र से साइना ने बैडमिंटन का रैकेट थामा और उसके बाद एक के बाद एक प्रतियोगिता जीतते हुए यह दिखा दिया कि मेहनत से कुछ भी पाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ पाया हवा की रफ्तार से दौड़ने वाली ऐथलीट सुधा सिंह ने। चाइना में 2010 में आयोजित 16वें एशियन गेम्स में 3,000 मीटर की स्टीपल चेज दौड़ में भारत को गोल्ड मैडल दिलाने वाली सुधा ने अपनी मंजिल पाने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी मंजिल हासिल की।

अगर कोई व्यक्ति अमीर बनना चाहता है तो उसके लिए सबसे जरुरी है की वह अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर ले क्योकि अगर आप लक्ष्य को पूरा करते है तो आपको काम में सफलता मिलेगी और काम में सफलता मिलेगी तो आप वही काम करेंगे जिसमे की आपको पैसा मिले। मेहनत ही सफलता की कुंजी होती है। इसीलिए अगर आप पैसे वाले बनना चाहते है तो सबसे पहले आपको मेहनती बनना होगा। यदि आप मेहनती होते है तो निश्चित ही आप पैसे वाले बनने में कामयाब होना जरुरी है। अमीर बनना कोई आसान काम नहीं होता। इसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। अगर आप मेहनत के साथ कुछ और उपाय भी कर लेते है तो निश्चित ही आप पैसे वाले बनने में कामयाब होंगे। सबर का फल मीठा होता है ।आपने और हमने ये कहावत बचपन से लेकर बड़े होने तक कोई बार सुन्नी होगी और काफी हद तक यह कहावत सही भी है। क्योकि अगर हमारे पास धैर्य नहीं होता तो हम अपने अधिकतर कामो में जल्दबाजी करते है और काम ख़राब होता है। जिससे हमारा हौसला गिर जाता है और सफलता नहीं मिल पाती।

कठोर परिश्रम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है। इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है सफलता उसी का कदम चूमती है। कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं। यह तो एक साधारण तथ्य है की आज दुनिया भर में हर एक सफल व्यक्ति कुछ ना कुछ कष्ट सहने के बाद ही ऊँचाइयों पर पहुंच पाया है। हमको अपनी शिक्षा के समय से उदाहरण लेना चाहिए जैसे हम अगर पढ़ाई मेहनत से करते हैं तो हमारा परीक्षा फल भी अच्छा होता है और अगर हम पढ़ाई मैं आलस करते हैं तो परीक्षा फल बहुत बुरा होता है।

सफलता कोई संयोग नहीं है, यह कठिन परिश्रम, दृढ़ता, सीखना पढ़ाई, बलिदान और सबसे ज्यादा, आप जो भी कर रहें हैं, या सीख रहे हैं, उसे प्यार करना है।

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