इस संकट की घड़ी में समय समय पर कोरोनावीर योद्धा के रूप में सम्मान देकर बढ़ाना चाहिये समस्त नर्सेज का हौसला
अंतराष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर नर्स पदनाम परिवर्तन के साथ ग्रेडपे 3600 भी मिलना जरूरी

कुचामन सिटी। दिनेश कड़वा, संवाददाता, तेजल ज्ञान नागौर
दुनिया भर में नर्स दिवस प्रति वर्ष 12 मई को मनाया जाता है। आमजन अपने आसपास के गांव शहर के अस्पतालों में दिन रात सेवाएं प्रदान करने वाली नर्स बहनों का नर्स दिवस पर सम्मान करें तो उनका हौसला और बढ़ेगा और अपने क्षेत्र में बेहतर तरीके से अपनी डयूटी कर सकेगी। कोरोना संक्रमण की द्वितीय लहर में डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मियों जो अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है वह बहुमूल्य है। इस संकटकाल में जब लोग अस्पतालों में पहुंच रहे हैं तब उनकी सेवा कर उन्हें स्वस्थ्य कर घर भेजने की जिम्मेदारी का निर्वाह वे लोग पूरी तरह से कर रहे हैं। चाहे वो कोरोना संक्रमित का इलाज हो या अन्य बीमारियों से निजात दिलाने में ये नर्स व डॉक्टर वरदान साबित हो रहे हैं। लेकिन अगर इस कड़ी में देखा जाए तो आज के कठिन दौर में सबसे सराहनीय सेवा कार्य नर्सिंग स्टॉफ द्वारा किया जा रहा है। जब कोई भी हॉस्पिटल हो या उपस्वास्थ्य केन्द्र उसमें काम करने वाली महिला नारी शक्ति नर्सेज अपनी ड्यूटी पूर्ण जिम्मेदारी के साथ निभा रही है। महिलाओं के सामने कितनी बड़ी चुनौती होते हुए भी वे अपनी ड्यूटी के प्रति हमेशा ईमानदारी के साथ कार्य करती है। आज के दौर में पुरूषों की तुलना में महिलाओं ने हर वक्त अपना शतप्रतिशत समय दिया है।महिलाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके छोटे बच्चे, घर परिवार में सुबह शाम कामकाज, साथ ही अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुये निजी जीवन बिताना काफी ऐसे कार्य है जिनसे लड़कर हर वक्त समाजसेवा के रूप में घर घर जाकर बच्चों के टीकाकरण अभियान की सर्वे रिपोर्ट तैयार करना।उपस्वास्थ्य केन्द्र या राजकीय चिकित्सालय में अन्य गतिविधियों में जिम्मेदारी के साथ ड्यूटी देना।पिछले दो वर्षों से कोविड जैसी वैश्वीकरण महामारी में रातदिन अतिरिक्त सेवा देना। कई चिकित्सालयों में वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल के लिये कई घंटों तक सेवा देना इनकी लाइफ में अलग हिस्ट्री बन चुकी है। कड़ी मेहनत के बावजूद कभी हार नही मानने वाली ऐसी नर्सिंग स्टॉफ की कुछ कोरोना योद्धा जो अभी तक अच्छा कार्य कर रही है और उनको सरकार द्वारा किसी तरह का अतिरिक्त लाभ भी नही मिल रहा। साथ ही राज्य सरकार द्वारा उनकी जायज मांग पेग्रेड 3600 उनकी मांगे पूरी नहीं हो रही फिर भी कोराना काल में अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं। काफी समय से समस्त नर्सिंग स्टॉफ ग्रेड पे 3600 की मांग कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे उसके बावजूद कोरोनाकाल में वे अपनी सेवाएं पूर्ण जिम्मेदारी के साथ दे रहे हैं। आज हम आपको अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस पर नागौर जिले के कुचामन ब्लॉक की कुछ ऐसी नर्सेज से रूबरू करवाते है जिन्होंने अपनी जीवन की इस दौड़ में पिछले दो वर्षों से चल रही वैश्विक कोरोना महामारी में अहम जिम्मेदारी निभाई है। ऐसे कोरोना योद्धा नारी शक्ति का सम्मान होना भी जरूरी है। जिन्होंने हर वक्त संकट की घड़ी में आम आदमी का साथ निभाया है ओर उनके स्वास्थ्य को लेकर हर वक्त सही सलाह के साथ उपचार किया। आज कोरोना महामारी का भयानक रूप किसी से छुपा हुआ नही है। लेकिन ऐसी काफी नर्सेज है जिन्होंने बिना डरे,सहमे जिम्मेदारी के साथ जनता की सेवा की है। डॉक्टर तो वैसे भी मरीज को देखकर ज्यादातर दवाई लिखने का काम करते है लेकिन असली योद्धा नर्सेज ही होते जो वार्ड में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन लगाना,अन्य उपचार करना उनकी जीवनशेली में रोज का काम है। आइये हम कुचामन ब्लॉक में उन कोरोना योद्धा नारी शक्ति नर्सों से मुलाकात करवाते है जो कहा कहा काम कर रही है।

एएनएम जे सी
ये एक ऐसा नाम है जेसी दीदी जिसकों पिछले तीन दशकों से कुचामन के आसपास हजारों लोग जानते पहचानते है।जी हां नाम है जेसी दीदी जो मूलतः दक्षिण भारत के केरला से है।और करीब पिछले 25 वर्षों से कुचामन ब्लॉक के राजकीय चिकित्सालय जिलिया में अपनी सेवाएं दे रही है।इन्होंने कोरोनाकाल से पहले इस क्षेत्र में काफी समय तक जनता की सेवा की है और आज भी पूर्ण जिम्मेदारी के साथ इस संकट की घड़ी में अच्छा कार्य कर रही है।

एएनएम प्रियंका चौधरी
सीकर जिले की निवासी कुचामन ब्लॉक के ग्राम पंचायत चांदपुरा उपस्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत एएनएम प्रियंका चौधरी पिछले दो वर्षों से कोरोनाकाल मे सराहनीय कार्य कर रही है।उनका कहना है कि हम बिना रूके, बिना थके अपनी परवाह किए बिना इस कोरोना की द्वितीय लहर के समय में फ्रन्ट लाइन कार्यकर्ता और सरकार की प्रत्येक योजना की जिम्मेदारी को लगन और सेवाभाव से पूर्ण कर रहे है। घर परिवार से दूर रहकर अपने कर्तव्य पथ पर अडिग है हम बस मन में ‘सर्वे सन्तु निरामयाः का भाव लेकर निकल पडे़ है। सुबह से ही भीषण गर्मी में भी घर, घर जाकर लोगों को जागरुक करना, उनको कोरोना महामारी से बचने के तरीके समझाना,मास्क और बार, बार हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करना ये सब भी हमारी दिनचर्या का हिस्सा है।हमे ग्रामीण क्षेत्र में जनता का अच्छा सहयोग भी मिलता है।घर घर जाकर बच्चों की टीकाकरण अभियान की रिपोर्ट तैयार में। साथ ही कोरोना वेक्सिनेशन शिविर में भी सेवाएं दे रहे है।

एएनएम कांता चौधरी
ग्राम पंचायत जिलिया के राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत नर्स कांता ओला ने बताया कि अभी आई.एल.आई के चिन्हित लोगों तक मैडिसिन किट पहुँचाना,उनके मन में वैक्सीनशन के लिए फैली भ्रान्तियों को दूर कर वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित करना, उनका मनोबल बनाए रखना भी हमारा मिशन है। लेकिन फिर भी हम अपने कर्तव्य पथ पर डटे है और इस कोरोना महामारी को हराकर लोगों में नवजीवन संचार ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है।

एएनएम संतोष राणा
ग्राम जिलिया के राजकीय चिकित्सालय में ही कार्यरत नर्स संतोष राणा ने बताया की वह सीएचसी का रिपोटिंग कार्य के साथ,साथ इन दिनों कोरोना की द्वितीय लहर के दौरान सभी स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दिन व रात अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है।

एएनएम सुमन खीचड़
ब्लॉक की उपस्वास्थ्य केन्द्र उदयपुरा में कार्यरत सुमन खीचड़ ने बताया की वह ओपीडी,आईपीडी के साथ-साथ इनदिनों कोरोना वैक्सीन लगाने का कार्य भी कर रही है।पिछले काफी समय से में ग्रामीण अंचल के ढाणियों में बच्चों की सर्वे रिपोर्ट व टीकाकरण में कार्य भी कर रही हु।

एएनएम मंजू
ग्राम पंचायत चारणवास उपस्वास्थ्य केन्द्र पर कार्यरत मंजू ने पिछले काफी समय से कोरोना टीकाकरण व महामारी से बचाव हेतु जागरूकता अभियान में सराहनीय सेवा कार्य किया है।ये कोरोना योद्धा भी आज सरकार व आमजन के साथ मिलकर काफी अच्छा कार्य कर रही है।ग्राम के उपस्वास्थ्य केंद्र मरीजों की देखभाल करना भी रोज की दिनचर्या में शामिल है।
— अंतराष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर पदनाम परिवर्तन के साथ ग्रेडपे 3600 भी मिलना जरूरी
जैसा कि 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर चिकित्सा विभाग द्वारा राज्य सरकार की केबिनेट बैठक में नर्स के पदनाम परिवर्तन को सम्मान देने के लिये प्रस्ताव भेजा गया है जिसमे चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा पदनाम परिवर्तन को लेकर काफी गंभीर है।सभी नर्सेज की पिछले लम्बे समय से एक सबसे महत्वपूर्ण मांग ग्रेडपे 3600 लागू करना भी है जिससे काफी महिला शक्ति को इससे फायदा मिल सके।चिकित्सा मंत्री को पदनाम परिवर्तन के साथ साथ इस गंभीर विषय पर भी ध्यान देना चाहिये जिसके कारण आज फील्ड में कार्य कर रही हजारों नर्सेज को इसका लाभ मिल सके।