आई लव यू पापा-सुमन
बहन की कसम… चिता पर कोई भाई घर न बसाए: एक बेटी मरकर समाज को दे गई संदेश, सुसाइड नोट में लिखा… आटा-साटा ने मेरी जिंदगी बर्बाद की, इसके कारण समाज ने दी जिंदा मौत
नावाँ/ कुचामन सिटी
तेजल ज्ञान संवाददाता/ दिनेश कड़वा
मृतका सुमन चौधरी।
नागौर जिले के नावां थाने के ग्राम हेमपुरा में दो दिन पहले एक 21 वर्षीय शादीशुदा युवती ने कुएं में कूद कर अपनी जान दे दी थी। पति विदेश में रहता है और वह 8 महीने से पीहर में रह रही थी। अब उसकी मौत के बाद एक सुसाइड नोट मंगलवार से वायरल हो रहा है। इस सुसाइड नोट में लिखा कि सामाजिक कुप्रथा आटा-साटा ने लाखों लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है। इन प्रथाओं की वजह से लड़कियों को समाज में जिंदा मौत मिलती है और मेरी भी मौत का कारण समाज ही है। हालांकि परिवार की ओर से दी रिपोर्ट में बताया कि वह मानसिक रूप से परेशान थी। सुसाइड नोट मिलने के बाद पुलिस भी जांच में जुट गई है।
चाचा ने दी थी पुलिस में रिपोर्ट, मानसिक परेशानी बताई थी सुसाइड की वजह
ग्राम हेमपुरा निवासी नारुराम ने पुलिस को रिपोर्ट पेश कर बताया कि मेरे भाई नानूराम की पहले मृत्यु हो चुकी है। उनकी पुत्री सुमन की शादी भूणी में हुई थी और उसका पति विदेश रहता है। सुमन आठ महीनों से हमारे पास ही रह रही थी। सुमन को गत चार पांच दिनों से मानसिक रूप से परेशानी थी, जिसके कारण वह हमारे घर के पास के एक कुएं में गिर गई। जिसे नावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाने पर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
सुमन मॉर्डन जमाने मे नए विचारों वाली लड़की थी।
यह वायरल हो रहा सुसाइड नोट, भाइयों को समाज की सोच बदलने की सौंगध
मेरा नाम सुमन चौधरी है। मुझे पता है सुसाइड करना गलत है, पर सुसाइड करना चाहती हूं। मेरे मरने की वजह मेरा परिवार नहीं, पूरा समाज है, जिसने आटा-साटा नाम की कुप्रथा चला रखी है। इसके कारण लड़कियों को जिंदा मौत मिलती है। इसमें लड़कियों को समाज के समझदार परिवार अपने लड़कों के बदले बेचते हैं। आप समाज के लोगों की नजरों में तलाक लेना गलत है, परिवार के खिलाफ शादी करना गलत है, तो फिर यह आटा-साटा भी गलत है। आज इस प्रथा के कारण हजारों लड़कियों की जिंदगी और परिवार पूरे बर्बाद हो गए हैं। इस प्रथा के कारण पढ़ी-लिखी लड़कियों की जिंदगी खराब हो जाती है। इसी प्रथा के कारण 17 साल की लड़की की शादी 70 साल के लड़के से कर दी जाती है। केवल अपने स्वार्थ के कारण।
मैं चाहती हूं, मेरी मौत के बाद यह मेरी बातें बनाने की जगह, मेरे परिवार वालों पर उंगली उठाने की जगह, इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं। इस प्रथा को बंद करने के लिए शुरुआत करनी होगी। मेरी हर एक भाइयों को अपनी बहन राखी की सौगंध, अपनी बहन की जिंदगी खराब करके अपना घर न बसाए। आज इस प्रथा के कारण समाज की सोच कितनी खराब हो गई है कि लड़की के पैदा होते ही तय कर लेते हैं कि इसके बदले किसकी शादी करानी है।
सुसाइड नोट का पहला पेज जिसमें आटा-साटा जैसी कुप्रथा का जिक्र किया।
दूसरे पेज में इन प्रथाओं को बंद करने की अपील।
तीसरे पेज में सुमन ने अपनी मौत का जिम्मेदार समाज को ठहराया।
लड़की के बदले लड़की की सौदेबाजी करना होता है आटा-साटा
आटा-साटा एक सामाजिक कुप्रथा है। इसके तहत किसी एक लड़की की शादी के बदले ससुराल पक्ष को भी अपने घर से एक लड़की की शादी उसके पीहर पक्ष में करानी होती है। इसमें योग्यता और गुण नहीं बल्कि लड़की के बदले लड़की की सौदेबाजी होती है। वर्तमान दौर में जब लड़कियों की बेहद कमी है तो कई समाज में इसे खुले तौर पर किया जाने लगा है। इसके चलते कई पढ़ी-लिखी जवान लड़कियों की शादी अनपढ़ और उम्रदराज लोगों से कर दी जाती है। जिसके चलते ऐसी कई लड़कियों की जिंदगी तबाह हो रही है।