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बाड़मेर की इस लक्ष्मी ने बता दिया कि घर मे मातम के नक्कारे भी हिम्मत नही तोड़ सकते, पहली बार मे बनी राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी

तेजल ज्ञान बाड़मेर। मंगलवार रात को घोषित हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा के परिणामो में सरहदी बाड़मेर की लक्ष्मी के सिर विजयश्री का ताज सजा है। अपने सपने के लिए कड़ी मेहनत करने वाली लक्ष्मी की किस्मत में राज का हिस्सा बनना लिखा था लेकिन इस सपने से पूरा होने से पहले इनके पति और पिता इस दुनिया से अलविदा कह गए। घर मे मातम के माहौल में भी लक्ष्मी हिम्मत और जज्बे के साथ डटी रही और विधवा कोटे से वह राज्य में तीसरी रैंक के साथ सफल हुई। बाड़मेर शहर की रहने वाली लक्ष्मी मूढ़ की शुरुआती तालीम बाड़मेर के राजकीय बालिका विद्यालय में हुई। कक्षा 12 तक मयूर नोबल एकेडमी में पढ़ने के बाद लक्ष्मी ने गर्ल्स कॉलेज बाड़मेर से बीए करने के बाद बीएड की पढ़ाई महेश महिला कॉलेज से की। लक्ष्मी के पिता स्वर्गीय हेमाराम इंदिरा गांधी केनाल में हेल्पर पद पर कार्यरत थे। माँ अनसी देवी गृहणी है। 5 भाई बहन के परिवार में बड़े भाई विशनाराम टीचर है तो बहन पुष्पा चौधरी और रेखा चौधरी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है जबकि एक बहन मनीषा चौधरी जैसलमेर में एलडीसी पद पर कार्यरत है। लक्ष्मी का ससुराल छीतर का पार और 27 नवम्बर 2017 को इनके पति रूपाराम का देहांत हो गया। उसके कुछ दिनों बाद ही इन्होंने आरएएस प्री की परीक्षा पास की। पति के निधन के बाद इनके पिता की 25 जनवरी 2019 टीबी एम से मृत्यु हो गई। अपने सपनों को संघर्षों के आगे नही झुकाकर लक्ष्मी ने आज विजयश्री का परचम फहरा दिया। यह जानकारी जसराज जाट धतरवाल आदर्श जाट महासभा प्रदेश सचिव राजस्थान द्वारा प्राप्त हुई।

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