तेजल ज्ञान दिल्ली। महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद राजा नाहर सिंह के महल को पुरातत्व विभाग मैं हस्तांतरित करने के लिए चौधरी हरपाल सिंह राणा और उनके साथियों के द्वारा वर्षों से किए जा रहे प्रयासों के परिणाम स्वरूप पहली बार पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ से पत्र प्राप्त हुआ। पुरातत्व विभाग ने हरपाल सिंह राणा से पूछा है कि राजा नाहर सिंह जी के महल को पुरातत्व विभाग में क्यों सौंपा जाए यह बताएं, वैसे तो इससे बड़ा कोई मजाक और शहीदों का अपमान हो नहीं सकता क्योंकि शहीद राजा नाहर सिंह की कुर्बानी जगजाहिर है और सरकार के पास सभी जानकारी स्वयं उपलब्ध है।
लेकिन उसके बावजूद 6 जुलाई को विचार करने और सर्वसम्मति से प्रस्ताव बनाने के लिए उसी राजा नाहर सिंह महल बल्लमगढ़ में साहित्यकारों लेखकों की विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित महानुभाव ने इस पर प्रकाश डाला। विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि 1857 की क्रांति में बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में राजा नाहर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और दिल्ली में हजारों अंग्रेजों का कत्लेआम करके दिल्ली को 134 दिन तक आजाद करा दिया था। अंग्रेजों ने इंग्लैंड में यह खबर भेजी थी कि जब तक चीन से हमारी सेनाएं और आधुनिक गोला बारूद नहीं आ जाते दिल्ली पर दोबारा से कब्जा होना नामुमकिन है, राजा नाहर सिंह ने अपनी रियासत मैं अंग्रेजों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था और उन्होंने अपने राज्य से अंग्रेजों को कभी टैक्स भी नहीं दिया आदि अनेकों ऐसे कार्य और तथ्य हैं जो स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में शहीद राजा नाहर सिंह को सुमार करते हैं। अंग्रेजो के द्वारा स्वयं उन्हें आयरन वाल भी कहा जाता था। इन्हीं क्रांतिकारी कार्यों से घबराकर अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह को धोखे से दिल्ली बुलाने के बहाने से बहादुर शाह जफर की अंग्रेजों से समझौते की झूठी सूचना देकर रास्ते में गिरफ्तार कर लिया और झूठा मुकदमा चलाकर 9 जनवरी 1858 को दिल्ली के चांदनी चौक में फव्वारे पर फांसी दी गई थी।
शहीद राजा नाहर सिंह जी के द्वारा यह सभी क्रांतिकारी कार्य इसी बल्लमगढ़ के महल में रहकर किए गए। महल में खुला जनता दरबार लगता था ,अंग्रेजो के द्वारा महल की तरफ कभी भी आंख उठाने की भी हिमाकत नहीं की, यह सभी तथ्य जगजाहिर है और सरकार के पास उपलब्ध है लेकिन इस कार्य में और देरी करने के लिए सरकार अनेकों प्रकार की बाधाएं उत्पन्न कर रही है।विचार गोष्ठी की अध्यक्षता चौधरी अजीत सिंह जैलदार बल्लमगढ़ के द्वारा की गई, जिसमें सर्वसम्मति से सभी ऐतिहासिक जानकारी देकर पारित प्रस्ताव में कहा गया किया महल को जल्द से जल्द पुरातत्व विभाग में हस्तांतरित किया जाए, यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसमें हर बार की तरह चौधरी हरपाल सिंह राणा (संयोजक राजा नाहर सिंह अभियान दिल्ली और कार्यक्रम संयोजक) परिवार सहित सम्मिलित हुए और जागरूकता के लिए उन्होंने स्वयं बेटी स्वाति और बेटे अखिल के साथ शहीदी स्थल चांदनी चौक से शहीद स्मारक बल्लभगढ़ (लगभग 40 किलोमीटर) की साइकिल यात्रा भी निकाली।
इस बैठक में महिपाल सिंह सरपंच, डॉक्टर धर्मचंद विद्यालंकार, राजवीर सिंह फौजदार, सतपाल आर्य ,राजकुमार यादव सचिन सहित दिल्ली से कर्नल रामहेर मलिक (सह पत्नी) मातृशक्ति में संतोष देवी, हरपाल सिंह राणा की धर्मपत्नी सीमा राणा और कारगिल विजेता बलवान सिंह राणा और कारगिल विजेता सतवीर सिंह की धर्मपत्नी राजेश देवी सहित दिल्ली से हरीचंद गहलोत, मास्टर हरिराम माथुर, रामहेर राणा, अशोक टोकस, कपिल राणा, संजीत डबास, मदन कश्यप सहित अनेको व्यक्ति उपस्थित थे।
हरपाल सिंह राणा ए -1 गाँव व डाक -कादीपुर दिल्ली -36 Ph. 9136235051