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क्या खुले ओर जोखम रहित रास्ते पर चलने का भारतीय नागरिक को हक़ नही है?

तेजल ज्ञान न्यूज़ रिपोर्टर (महेंद्र सिंह खोखर घसीपुरा राजस्थान)। सीकर कांवट घसीपुरा।बिल्कुल है ऐसा नहीं है की रास्तों के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है पर कानून की पालना करवाने और इन रास्तों को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए जिम्मेदार विभाग और अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं देते। क्यों।। क्योंकि जनता जगरूक नही अपने हको के लिये । अधिकांश ग्रामीण सड़क व रास्ते धीरे धीरे गलियों जैसे सुकड़ते जा रहे है। सरकार ने कानून भी बना दिया कि रोड के दोनों तरफ की इतनी जगह सड़क सीमा मानी जाएगी परंतु पालना कौन करवाये।।
खेत, ढाणी, गाँव की सड़कों से लेकर ,जिला,राज्य व राष्ट्रीय हाइवे तक सभी की चौड़ाई सुकड़ती जा रही है सिर्फ काले रंग जितनी ही बचती है। बल्कि गाँवो में तो सीसी सड़क पर भी छड़िया,पत्थर डाल उसे ओर सकड़ी करदी जाती है गाँव मे पंचायत चुप,शहर सड़क पर सीढ़ियां बरामदे बना दिये जाते है वहाँ पालिका मौन, बाकी सब जगह सरकारे और नेताजी चुप?
क्या जनहित का नही है?
अरे भई जितने लोगो ने अतिक्रमण कर रखा है अनजाने वालो की संख्या उनसे कई गुना ज्यादा है तो निःसन्देह वोट भी ज़्यादा होंगे। खेतों में लोगों को अपने घर-खेत मे जाने का रास्ता नही मिलता।
वर्तमान में पक्की रोड के अलावा संपूर्ण रास्ता लगभग हर जगह अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। राहगीरों के चलने के लिए सड़क के समानांतर बनने वाला फुटपाथ सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है वास्तविकता में कहीं नजर नहीं आता है ।
ऐसी बात नहीं है कि इस समस्या से हमारे राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी परिचित नहीं है वह भली भांति परिचित है परंतु फिर भी उनके द्वारा इस तरह कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा ना ही हमारे मीडिया बंधु इस मामले में कुछ लिखने की कोई दिलचस्पी रखते हैं। इसके नतीजे तो आम प्रजा को भुगतने पड़ते है दुर्घटना की शिकार होती है,किसी के बच्चे अनाथ हो जाते हैं, किसी की पत्नी विधवा हो जाती है जिससे अधिकांश परिवारों के भविष्य के सपने चूर-चूर हो जाते हैं परंतु जिम्मेदारों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। हम भी यह सोच कर चुप हो जाते हैं कि और भी तो चलते हैं हमें क्या मतलब! यदि इन रास्तों को अतिक्रमण मुक्त कर दिया जावे व आवाजाही के लिए फुटपाथ नियमानुसार निर्मित कर दिए जाये तो क्या लाखों लोग दुर्घटनाग्रस्त होने से बच नही जाएंगे? ओर सकडे रोड के कारण बार बार अवरोध होने से पेट्रोल डीजल की ख़पत जो बढ़ जाती है वो भी 30% तक कम हो जावेगी। अब रास्तो पर अतिक्रमण पाप नही समझा जाता है बल्कि इसे मूर्ख लोग अपनी ताकत दिखाने का जरिया समझते है।
उम्मीद है जिम्मेदार जल्द ही जागेंगे। वरना क्या आवाम जगा देगी? दीपक नेहरा (Adv.)
प्रीतमपुरी, नीमकाथाना।

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