
जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम जोड़कर ओबीसी वर्ग की जातिगत जनगणना कराए जाने के लिए।
ओबीसी जाति आधारित जनगणना कराने की उठाई मांग और जनसंख्या के अनुपात में ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले।
1992 में मंडल कमिशन में 27% आरक्षण दिया वो भी 61 साल बाद मिला और ओबीसी का 4.5% ही मिला है।
तेजल ज्ञान नसीराबाद, अजमेर (हरिराम जाट)।
ओबीसी महासभा ने देश में जाति आधारित जनगणना करने के लिए नसीराबाद उपखंड अधिकारी को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया है कि जातीय जनगणना नहीं होने से बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। जिससे इन्हें प्राप्त होने वाले सरकारी सुविधाओं व अधिकारों से वंचित होना पड़ता है। सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला-पुरुष अल्पसंख्यक, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि की गणना की जाती है और उनके आंकड़े के अनुसार विकास की रूपरेखा खींची जाती है।
आजादी के बाद से ओबीसी समुदाय की गिनती आज तक नहीं की गई है। 1980 में मंडल कमीशन ने भी जातीय जनगणना कराने की अनुशंसा सरकार से की थी। देश में ओबीसी समुदाय का सही आंकड़ा नहीं है तो नीति आयोग ओबीसी समुदाय के लिए विकास का खाका कैसे खींचेगी, जनगणना नहीं होने से ओबीसी समुदाय की स्थिति दोयम दर्जे की हो गई है और यह समाज विकास से कोसों दूर होते जा रही है। बताय कि 2011में ओबीसी समुदाय की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना हुई थी। जिसका रिपोर्ट 3 जुलाई 2015 में तत्कालीन मंत्री अरुण जेटली ने उजागर किया और कहा कि इसमें करोड़ों त्रुटियां है। और इसका रिपोर्ट प्रकाशित नहीं किया गया। बाद में केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि अगली जनगणना जाति आधारित कराई जाएगी। परंतु अभी तक जाति आधारित जनगणना करने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इस बाबत राष्ट्रपति से अविलंब जातीय गणना कराने की मांग की है। ज्ञापन में ओबीसी महासभा अजमेर जिलाध्यक्ष हरीराम जाट, रामदेव, अमित बिदावत, कचरू, राहुल, जगदीश सहित अन्य लोग शामिल थे।

