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गरीब के सपनो के घर के लिये भूमि ग्राम पंचायत/स्थानीय निकाय देगी?


तेजल ज्ञान न्यूज़ रिपोर्टर(महेंद्र सिंह खोखर घसीपुरा) राजस्थान सीकर। कांवट घर के लिए चाहिए जमीन और जमीन देने की जिम्मेदारी बनती है सरकार की ग्राम पंचायत/स्थानीय निकाय की,
ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त नाप में आबादी भूमि उपलब्ध है परन्तु उस पर कुछ ही रशुखदार भूखे लोगो ने कब्ज़ा कर रखा है जिस पर पहला हक कमजोर गरीब तबके का है वो चाहे अनुसूचित जाति- जनजाति का हो या सामान्य वर्ग का है परंतु रसूखदार (जिन्हें फ़ोकट की खाने की आदत है) लोग जरूरतमन्द के हक की आबादी भूमि पर स्थानीय निकाय/ग्राम पंचायत की मिलीभगत व निक्कमे पन से काबिज़ हो खा जाते हैं ओर सरकार के इन अभियानों में पट्टे भी बनवा लेते है ।
गरीब-मजबूर व मजदूर वर्ग के लोग जो पहले से ही मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहते आये है वो सारी उम्र भूमि को तरशते रहते हैं उन्हें एक घर बनाने तक के लिए भूमि उपलब्ध नहीं हो पाती।
सरकार अभियान में पट्टे बाँटने के आंकड़ों से खुद की पीठ थप-थपा लेती है जबकि इसका फायदा जरूरतमंद को नही मिलता।
आबादी भूमि पर 1000 गज से एक एक बीघा तक कि भूमि पर एक ही परिवार स्थानीय निकाय की मिलीभगत व निक्कमे पन से काबिज़ रहता है ओर ग़रीब मजदूर वर्ग के लोग एक एक झोपड़े में दो-दो परिवार के साथ रहने को मजबूर है।
ज़िम्मेदार अधिकारियों और नेताओं की जिम्मेदारी है की वो इस आबादी भूमि को इन मुफ्तखोर के कब्ज़े से मुक्त करा कर गरीब- मजबूर को दे।इसके लिये संघर्ष उसी वर्ग को करना होगा जिसे रहने के लिए जगह उपलब्ध नहीं है जो दबा कुचला है ।
उपेक्षित लोगो को घर बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करवाना ग्राम पंचायत व स्थानीय प्रशासन का दायित्व व कर्तव्य है,
ग्राम पंचायत/स्थानिय निकाय में कहाँ-कहाँ आबादी भूमि है ये भी निःशुल्क चिन्हित कर आम जन को बताना व उसे अतिक्रमण मुक्त रखना भी ग्राम पंचायत/स्थानिय प्रशासन का दायित्व है अभी प्रशासन गांवों/शहरों के संग अभियान राजस्थान सरकार ने चला रखा है इसमें भूमिहीनों को भूमि के साथ पट्टे दिये जायेंगे ओर ये काम गाँवो में ग्राम पंचायत का होगा तो गरीब,मजबूर-मजदूर मजदूर तबके के लोगों के लिये स्वर्णिम मौका है जिसका लाभ उठाइये।
ऐसा न हो कि हमेशा की तरह आपके हक की जमीन व पट्टा कोई और ले जाये। याद रखिये अगर जरूरतमन्द को रहने के लिये आबादी भूमि नही मिलती है तो किसी को अनैतिक फ़ायदा पट्टे का हम लेने भी नही देगे।
गाँव जिनके पास रहने तक की जगह नहीं है जो उधार की जगह या एक झोपड़ी में अपना गुजारा बे मुश्किल कर पा रहे हैं वह संबंधित ग्राम पंचायत में भूमि के लिए आवेदन करें ग्राम पंचायत की आबादी भूमि पर गरीब भूमिहीन लोगों का घर के लिए भूमि पाना पहला अधिकार है और संबंधित ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है कि वो भूमि उपलब्ध करवाये जिन लोग ने अवैध अतिक्रमण कर ज्यादा जगह रोक रखी है उन्हें बेदखल कर इन गरीबो को भूमि दिलवाना ग्राम पंचायत/स्थानिय निकाय का धर्म है और जो धर्म की पालना न करे वो बेईमान। आपअपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों कर अपने हक के सपनों के घर के लिए संबंधित ग्राम पंचायत/निकाय से अधिकार पूर्वक भूमि मांगिए। भूमि के लिये आवेदन कीजिये, नियमानुसार रशीद जरूर लीजिये अगर आपके अधिकारों की अनदेखी होती है तो उच्च अधिकारियों से मिला जाये। बहुत अधिकारी व जनप्रतिनिध कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार है वो आपकी मदद करेंगे वरना संघर्ष कीजिये वैसे हक छीनना कोई ग़ुनाह नही?
सरकार की योजना आपके लिये है सरकार की आबादी भूमि पर पहला हक ग़रीब का उसका लाभ उठाने के लिये भी गरीब की ही संघर्ष करना पड़ेगा।
दीपक नेहरा (Adv.)

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