तेजल ज्ञान जोधपुर (रिकबाराम बोला)। एक भावुकता भरे माहौल में हर कोई सोच रहा था आदरणीय महिपाल जी मदेरणा को मुखाग्नि देने से लेकर सारे सामाजिक रीति रिवाज में दिव्या मदेरणा ने बेटे की भूमिका निभाई है मगर जब पगड़ी की रस्म का मौका आया तो सभी के मन पर प्रश्न था अब सामाजिक रस्म का बन्धन आड़े आएगी। क्योंकि रस्मो रिवाज इस मामले में बेटो की हिमायत करते है क्योंकि पगड़ी की रस्म का अर्थ है परिवार के मुखिया के निधन के बाद पगड़ी के जरिये जिम्मेदारी का अंतरण।
दिव्या ने अपने पिता की जिम्मेदारी का अपने कंधों पर लेते हुए दस्तूर के माथे बेटियो की दस्तारबंदी की तो रस्मो रिवाज खुद ब खुद झुक गई और एक भावुकता का माहौल हो गया। मारवाड़ में शायद ये पहला मौका था जब बेटी के सिर पिता की पगड़ी बंधी। दिव्या ने प्रचलित रस्म का प्रतिकार किया और परिवर्तन की प्रतिमा बन कर खड़ी हो गई। सामाजिक स्वीकृति के बीच दिव्या के सर पिता की पगड़ी बंधी तो उसका चेहरा बदलाव की रोशनी से दमक उठा।
दिव्या की परिवर्तनकारी पहल ने समाज को नई दिशा दी है। पगड़ी और बेटी के बीच सदियों से बने फासले को मिटा दिया और संदेश दिया कि बेटियां बेटो के जैसे सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम है।
किसान राजनीति के सिरमौर स्व. श्री परसराम जी मदेरणा और महीपाल जी मदेरणा ने सिद्धान्तवादी किसान राजनीति के जिस पथ को प्रदर्शित किया और एक अलख जगाई थी। दिव्या मदेरणा उस पथ पर आगे चलते हुए साहब के अधूरे सपनों को पूरा करेगी ऐसी उम्मीद किसान वर्ग में बनी है।
अब राजनीतिक जिम्मेवारी के साथ साथ अब परिवार का भार भी दिव्या के कंधों पर आ गया है फिर हमें उम्मीद है वह हर परिस्थितियों से पार पाने में सक्षम में है। कठिन से कठिन दौर से गुजरते हुए दिव्या ने मदेरणा परिवार की विरासत को बनाये रखा है। इतना ही नही राजनीतिक जोड़ तोड़ में भी वह माहिर है। हाल में सम्पन्न पंचायतीराज चुनाव में उन्होंने अपनो और परायो से साथ मुकाबला करते हुए एक सफल कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ का परिचय दिया है। जोधपुर जिला प्रमुख की सीट प्रदेश की सबसे चर्चित व हॉट सीट थी जिस पर विजय पाकर मदेरणा परिवार ने फिर से अपना दमखम दिखाया।
बेटियों के सम्मान को बढ़ाते हुए सामाजिक बदलाव की दिशा में यह अभूतपूर्व कदम है जो आने वाले समय में समाज में और बदलाव लाएगा ।