तेजल ज्ञान रिकबाराम बोला पाली
।। जय तेजाजी महाराज ।। ।। सच या कुछ ओर ।।
✍️"मध्यमवर्गीय युवाओं की राजनीति, प्रेरणा और आकर्षण से शुरू होकर शोषण पर समाप्त हो जाती है क्योंकि राजनीती के आकर्षण में पड़कर एक युवा किसी न किसी नेता या सामाजिक विचारधारा के संपर्क में आता है परन्तु प्रारम्भ में तो जोशीला और क्षमतावान युवक स्थापित नेता या संघठन को बहुत प्यारा लगता है और लगे भी क्यों नहीं, वह उस नेता या संघठन की राजनीति को और चमकाने के लिए सब कुछ छोड़कर, दौड़ दौड़ कर उनके लिए काम जो करता है
✍️किन्तु जैसे ही वह युवा अपनी पहचान बनाता है तो प्यारा लगने वाला वह युवा कार्यकर्ता, जिसकी राजनीती में आगे बढ़ने की महत्वकांक्षा है उस नेता या संघठन में स्थापित नेताओं की आँख की किरकिरी बन जाता है और यंही से उसका शोषण शुरू हो जाता है,और कहाँ जाकर समाप्त होता है यह उस युवा की परिस्थिति और संघर्ष करने की क्षमता पर निर्भर करता है,
✍️यह सब युवाओं के साथ ही क्यों होता है,क्योंकि उस युवा मे मेहनत,लग्न,कर्तव्यनिष्ठा,आगे बढ़ने व बढ़ाने की ललक कुट कुट कर जो भरी होती है…….. इस सच्चाई के पीछे एक बहुत बड़े युवाओ के समूह का हाथ भी होता है, आज का युवा निश्चित ही कुछ करना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है लेकिन उसका विरोध युवा वर्ग ही करने लग जाता है । क्यों की आज का युवा खुद को नेता समझ लेता है….बस वही से वह कुछ महत्वकांक्षी युवाओ के विरोध का शिकार होने लग जाता है…
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✍️आज के युवाओं में वो एकता नही है जो होनी चाहिए, हर कोई आगे खुद को रखना चाहता है…
अपने आपको अधिक महत्व देना व साथियों की कमियां निकालना एक आदत बन गई है आज के युवा वर्ग की…..
✍️जिस दिन किसी एक को नेता चुन कर आगे चलेंगे, निश्चित ही नजारा देखने लायक होगा….
ऐसा कब होगा, ये तो समय ही बतायेगा…..
✍️मुझे उम्मीद है कि एक ऐसा भी आयेगा जब युवाओ की बदौलत सकारत्मक बदलाव राजनीति हो या समाज में आएगा अवश्य।।।।।
लक्ष्मण चौधरी