Breaking News

विधानसभा में लगाया जाएगा महाराजा सूरजमल का चित्र।

तेजल ज्ञान अर्जुन सिंह दिल्ली। देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ “अमृत महोत्सव” मना रहा है। देश में स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों, बलिदानों, शहीदों की यादें ताजा करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों पर अनेकों कार्यक्रम किए जा रहे हैं। देश में अनेकों स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होंने अत्याचारों के खिलाफ अपनी कुर्बानी देकर देश को स्वतंत्र रखने और कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, भले ही उनके समय में देश स्वतंत्र नहीं हुआ। लेकिन उन्होंने अपनी कुर्बानी देश के लिए दी, ऐसे अनेकों क्रांतिकारियों के चित्र दिल्ली विधानसभा में लगाए गए हैं। शहीद सम्मान अभियान के संयोजक हरपाल सिंह राणा ने बताया कि महाराजा सूरजमल का क्रांतिकारी इतिहास दिल्ली से जुड़ा रहा है और उनका बलिदान शाहदरा दिल्ली में हुआ था। राणा ने बताया कि दिल्ली विधानसभा में महाराजा सूरजमल का चित्र लगाने का आग्रह नरेश चौधरी सहित बहुत से साथियों, संस्थाओं के द्वारा दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल से किया गया था। जिसमें उन्होंने अपनी सहमति देते हुए आगे कार्रवाई करने की बात कही थी। कोरोना के कारण से यह कार्रवाई विचाराधीन थी। अब दिल्ली विधानसभा से राणा को प्राप्त जवाब में चित्र लगाने की कार्रवाई पूर्ण होने की जानकारी और चित्र जल्द लगाने का आश्वासन दिया गया है। राणा ने कहा कि यह दिल्लीवासियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। आजादी के अमृत महोत्सव पर महाराजा सूरजमल को यह सच्ची श्रद्धांजलि है।

इसके लिए रामनिवास गोयल को तहेदिल से धन्यवाद शुक्रिया करते हैं। उन्होंने बताया कि
महान क्रांतिकारी शहीद अजय महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को भरतपुर में हुआ था,उनका राज्य भरतपुर, आगरा, मेरठ, मथुरा, अलीगढ़, दिल्ली के आसपास के क्षेत्र पर था,दक्षिण दिल्ली की सूरज पहाड़ी पर उनकी सेनाएं अपना पडाओ डालती थी।महाराजा सूरजमल ने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध 80 युद्ध  लड़े, जिसमें उन्हें सभी में विजयश्री प्राप्त हुई, कोई भी युद्ध ना हारने वाले अकेले राजा थे महाराजा सूरजमल । महाराजा सूरजमल ने 9 मई, 1753 को मुगलों के खिलाफ दिल्ली पर हमला किया। उन्होंने 10 मई, 1753 को दिल्ली के नवाब गाजी-उद-दीन (द्वितीय) को हराया और दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
महाराजा सूरजमल ने नजीबुद्दोला द्वारा अहमद शाह अब्दाली के समर्थन से भारत को मजहबी राष्ट्र बनाने को कोशिश को भी विफल किया था। महाराजा।सूरजमल ने अपने प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में किले और महल बनवाएं, जिनमें प्रसिद्ध लोहागढ़ किला भी सम्मलित हैं जिस पर किसी भी आक्रमणकारी सेना का हमला कभी कामयाब नहीं हुआ, किले की दीवार कितनी चौड़ी थी की तोप के गोले उनमें धस कर रह जाते थे इस किले पर कभी कोई कब्जा नहीं कर पाया,
अपने समय में महाराजा  सूरजमल दूसरे राज्यों की तुलना में हिन्दुस्तान के सबसे शक्तिशाली शासक में से एक थे। राजनैतिक कुशलता और कुशाग्र बुद्धि के कारण उन्हें हिंदू हृदय सम्राट अजय महाराजा और जाट जाति का प्लेटों भी कहा जाता है, मुगलों ने 25 दिसंबर 1763 को उन पर घूमते हुए धोखे से पीछे से हमला किया, जिसमें उनको वीरगति प्राप्त हुई, उनकी सेना में 1500 घुड़सवार और 25 हजार पैदल सैनिक थे। उन्होंने अपने पीछे 10 करोड़ का सेना का साजो सामान छोड़ा था। एक साल बाद महाराजा सूरजमल के प्रतापी ज्येष्ठ पुत्र जवाहरसिंह ने अपने पिताश्री पर धोखे से किए गए हमले का बदला लेकर लाल किले पर फतह हासिल कर ली थी।

हरपाल सिंह राणा
संयोजक
शहीद सम्मान अभियान
फोन 9136235051

Check Also

ਬਡਹੇੜੀ ਵੱਲੋਂ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿੱਚ ਹਰਿਆਣਾ ਨੂੰ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਲਈ ਜ਼ਮੀਨ ਦੇਣ ਦਾ ਤਿੱਖਾ ਵਿਰੋਧ “ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿਰੁੱਧ ਸਾਜ਼ਿਸ਼ਾਂ ਬੰਦ ਕਰੇ”

🔊 Listen to this ਉੱਘੇ ਕਿਸਾਨ ਨੇਤਾ ਰਾਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਬਡਹੇੜੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਲੰਬੜਦਾਰ ਯੂਨੀਅਨ ਅਤੇ …