तेजल ज्ञान महेंद्र सिंह खोखर घसीपुरा राजस्थान। सीकर नीमकाथाना डॉ. जवाहर सिंह चौधरी गोडवास नीमकाथाना सीकर राजस्थान के द्वारा जीवन में किए जा रहे कार्य से समाज के युवाओं को सदैव प्रेरणा ग्रहण कर जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए डा. नारायण सिह की माता केशादैवी उनकी धर्म पत्नियां लक्ष्मी देवी नर्मदा देवी थी इनका बड़ा बेटा जवाहर सिह बहन विद्या सुशीला सरला पुष्पा राजबाला बहने इनसे छोटे दो भाई है एक का नाम सुभाषचन्द्र, दुसरे का नरेन्द्रसिह डा.जवाहर सिह चौधरी गोडवास नीमकाथाना सीकर(राजस्थान) का जन्म 13/7/1947को फुलेरा मे हुआ माता नर्मदा देवी जब पाच साल के थे पिता ने अच्छी परर्विश के लिए गुरूकुल कांगडी भेजना चाहते थे उम्र छोटी रहने की कारण जन्मतिथी को बदल कर 13/4/1947 कर दि 5 वर्ष तक बहुत ही अच्छे-अच्छे लालन-पालन हुआ इनकी दो माताएं आपस में कलेश रखती थी इसका असर इनके मस्तिष्क पर पड़ा बचपन की उम्र होने पर पाचवी क्लास का मॉनिटर बने दिमाग अच्छा चलता गया लेकिन गृह क्लेश के कारण दिमाग अस्त व्यवस्थ रहने लगा दोनों माताओं का प्यार बहुत मिला लेकिन गृह क्लेश ने झजोर कर रख दिया पढाई से रूची खत्म होने लगी कई स्कूल बदलने पड़े कभी फुलेर कभी नीमकाथाना डॉ जवाहर सिंह अपने पिता के संघर्षों को देखकर जीवन को आगे बढ़ाएं डॉ जवाहर सिंह ने 1965 भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय भी वीरता से देश की रक्षा के लिए देश सेवा की डॉक्टर बीमारी से पीड़ित होकर भी जीवन के साथ संघर्ष कर सदैव आगे बढ़ते रहें 1967 में जवाहर सिंह की शादी हो गई धर्मपत्नी जयकोरदेवी को माता पिता के आदेश अनुसार कभी शाहापुरा कभी गांव गोडवास कभी सालवाडी पिहर लाता ले जाता छोडता रहा जीस से परिवारीक सन्तुलन बना रहा जयकोरदेवी बहुत ही आग्याकारी व सेवा भाव मे निपुर्ण महिला है जिनकी माता सुन्दरीदेवी दो सासो की प्रेरणा से जयकोरदेवी को काफी समझदारी व सामाजीक परिवरीक काम करने की दक्षता प्राप्त हौ चुकी थी जवाहरसिह व उन्की पत्नी जयकोर देवी माता पिता के साथ मदद मे जवाहरसिह हाथ बटाने लगे और घर की दशा सुधरने लगी शाहपुरा क्षेत्र काफी लम्बा चोडा है वहां सभी जातीया निवास करती है सभी लोगो का अटल प्रेम व विश्वास पिता श्री नारायण सिह के शान्धिय से प्राप्त हुवा अच्छे बूजर्ग लोगो से समपर्क होने से सुबह और शाम पिता के पास अच्छे लोगो की बेठक होती रहती थी इसमे आदर्णिय गोर्धनसिह चौहान साहाब सहिवाड के डा. रामसिह हनुमानसाहाय व्यास कमला बेनिवाल आदर के पात्र गौपीजी पटल चन्द्राराम लीलव सीरण शिवनारायजी कपुरिया कानाराम रामदेव ढभास देवुजी गुरलिया मुरली भछुन्डा कानाराम पलसानिया बद्री गठाला गोविन्दराम दादरवाल यह सब डा. नारायणसिह के पास बैठते थे इससे बेटे जवाहरसिह पर अच्छा प्रभाव पडा संगत का असर तो पडना ही था जवाहरसिह भी पद चिन्ह पर चलता रहा एक विलेज जीप भी दिल्ली से खरीद लाए थे ऊटगाडी का इस्तेमाल हनुमानसाहाय व्यास के अम अल ए के चुनाव मे किया गया उसकी ड्राविग जवाहरसिह ही किया करते थे व्यास का चुनाव के लीए फार्म भरने कोटपुतली दल बल सहित व्यास को जवाहरसिह ने गाडी मे अपने साथ बेठा कर ले जाने का मोका मिला उनके विरौध मे कांग्रेस प्रत्याशी रावराजा धीर सिह थे फार्म भरकर वापस आए तो खुशी का ठिकाना नही रहा जवाहरसिह की पत्नी ने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया सालों साल बीतते चले गय दवाखाने का कार्य सुचारू रूप से चलने लगा लोग चौधरी दवाखाना नही कह कर (जाटकादवाखाना) व जाटनी का दवाखाना के नाम से संबोधित करने लगे जो आज भी शाहापुरा मनोहरपुर दरवाजे के पास है पिता ही उन्के गुरू थे जवाहरसिह के पास एक डिपलोमा जरूर था वह फोज मे कोलकाता थे तब सिलवरजुबली मेडिकल कालेज का था लेकिन प्रेक्टिकल शिक्षा तो पिताजी से ही प्राप्त की देखते देखते समय बीतता गया और असे पाच साल गुजर गए 1978 मे कांग्रेस को देश कइ विरोधी नेता संगठित होकर कांग्रेस को सता से बाहर कर दिया था जे पी अन्दोलन की मार झेलनी पडी कांग्रेस का आजादी के बाद 30साल के शासन को उखाड फैका और जनता पार्टी इसमें सभी पार्टियां शामिल थी गांव से कुछ लोग आए और उन्मे एक खिवाराम मंगावा सोहनसिह चौधरी मोहरसिंह यादव हेमावाली कहा गया कि आपको सरपंच बनाते हैं लेकिन सब की बात माननी पडी मोदी खानदान दुसरे को देखना नही चाहते थे इसलिए उन्होंने निर्विरोध सरपंच नहीं बनने दिया किंतु जनता ने भारी बहुमत से जवाहर सिंह को भारी बहुमत से ग्रामपंचायत गोडवास का सरपंच बना दिया पिता पहले सरपंच रह चुके थे डाक्टर ने हिम्मत नही हारी डॉक्टर ने किसान छात्रावास बनाने के प्रयास शुरू किए किंतु किसान छात्रावास बातो से बनने वाला नही था गोडवास नीमकाथाना खेतडी रोड पर कानुन को हाथ मे लेते हुए एक जमिन पर कब्जा किया और मालीराम मारवाल से किसान छात्रावास का नक्सा बनवाया जवाहरसिह ने 1700रू खर्च खर्च किए जवाहरसिह ने फिर भी हिम्मत नही हारी भगवान की कृपा से गांव गोडवास जौडला जोडा मे बाबा मोतीदास के चेले मगलदास जी जो बीमार चल रहे थे उनकी सेवा में मास्टर गिरधारी लाल जी करते थे ऊनसे मिला बाबा की स्वीकर्ती हो गई इस पर एक समस्या और फस गई वह समस्या थी की जमीन ठाकुरजी के नाम खाते की है SDM साहाब भरतपुर के रहने वाले थे और शुभ काम के लीए जवाहरसिह ठाकुरजी के नाम होगी तो 99 साल की लीज कर दुगा और खाते की होगी तो आपके नाम से रजीस्ट्री कर दुगा भगवान की दया से वह खाते की जमीन थी उसकी रजीस्ट्री किसान छात्रावास C/O जवाहरसिह सरपंच ग्राम पंचायत गोडवास के नाम से कर दी गई बाबा मंगलदास उस समय थोडे बीमार रहते थे तो बाबा मंगलदास के दसखत करवा कर संचालक डा. जवाहरसिह को ही खर्चा करना पडा यह 2 वर्ष तक चला जवाहरसिह का खाना पिना नाहाना हराम हो गया जमीन पटवारी के खाते मे दर्ज है धन्य है उस बाबा मंगलदास को व मास्टर गीरधारी लाल को SDM रघुवीरसिह के द्वारा यह पुनिय कार्य किया गया जो आजीवन लोग याद करते रहेंगे लेकिन जमीन ले लेने से ही मसला हल नहीं हुआ जवाहरसिह को बडे पापड बेलने पडे एक बहुत बडा लक्ष था की किसान और कमजोर वर्ग के बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए सभी जातियां मिलजुल कर रहे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया लोग मदद करने के बजाय टांग खींचने लगे किंतु डॉ को पूर्ण विश्वास हो गया था कि कामयाबी जरूर मिलेगी डा को कुछ अच्छा बताते कुछ बुरा बताते लेकिन डा ने मरते दम तक हार न मानने का फैसला किया और आगे कदम बढ़ाते ही रहे डा.जवाहर सिह की जीवन की घटनाए पढ कर आप मजबुत बन सकते है छात्रावास के लीए जमीन तो मिल गइ अब सवाल पैसे का था वह कहां से आए बुराई करने वाले लोग अफवा फैलाते रहते थे लेकिन डा. ने कुछ समाज के गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित कर डा.ने रडमलसिह पुर्व MLA सीकर कामरेड त्रिलोक सिह पूर्व MLA स्व.श्री गोपालसिह खडेला को बुलाया नारायणसिह बुर्डक पुर्व विधायक को भी बुलावा भेजा और आम जनता को भी प्रचार करके तारीख तय करके आमजन को आमंत्रित किया नारायसिह नही पहुच पाए मेजर शिवराम सिह आ गए थे और सभी माहन भाव आ गए थे जनता को कही डर सता रहा था वहां तो पैसे टको की बात होगी इसलीए लोग ने भाग नही लिया कुछ हमदर्द जरुर मोजुद थे वह ग्राम पंचायत गोडवास के थे आने वालो मे प्रभातारामजी पंच राज नगर धर्मपाल भाखर राजनगर(ढाणीराजुवाली)केनाम से जानी जाती थी गणपत राम पंच गोडवास अच्छे व जागरुक लोग शामिल हुए सभी ने अश्वाशन दियाऔर रजिस्टर मे दस्खत भी किए लेकिन कमरा नही बना पाए लेकिन फिलहाल उन सब का स्वर्गवास हो चुका है सिर्फ रडमल सिह जी जाट छात्रावास मे 100 वर्ष पूरे करने पर बसे आयोजन किया रडमल सिह जी से आप जाकर पुछ सकते है की आप नीमकाथाना गए थे। क्या की डा. धर्म संकट पड़ गए कोई साथ रहकर साथ नहीं दे रहा था बदनामी अधिक करते थे डा. ने फिर भी हिम्मत नही हारी डा. हार मानने वालो मे से नही थे डा. ने पैदल मार्च चालु किया साथ मे धर्मपाल भाखर के साथदलेलपुरा गांव मे रात को 8बजे आम चोक मे लोगो को इक्ठा किया डा. जवाहरसिह ने सब बाते खुल कर बताई ऊनमे प्रसादाराम चक्की वाले देवीसाहाए आजादहिनदफौज के सवतंत्रता सेनानी सरपंच ताखर ने पैसो की हा भरी और प्रसादा राम को जिम्मेवारी दी गई की डॉ. को पैसा इक्ठा करके देके आएगे भगवान हमेशा बच्चों की मदद करता है डा.को तीसरे दिन प्रसादाराम नीमकाथाना आकर 2500/रू जवाहरसिह को देकर गए एक संचार होने लगा इसी के साथ एक दोरा जानकीपुरा पहुचे साथ मे सुबेदार भुराराम गोडवास रामवतारहवलदार गोडवास धर्मपाल भाखर राजूवाली ढाणी मोजुद थे भगवान ने मदद की भगवान विजारणिया एक जागरूक व्यक्तित्व के धनी साथ लग कर 2500/रू. करके दिलवाए सुबेदार नरसाराम गोडवास को मदद बतोर निर्माण कार्य की देख रेख के लिए छोडा लेकिन एक कमरा ही योगदान से हो पाया नीम का पत्थर भी बाबा मंगलदास के करकमलो से रखवाया गया फिर झाबर ने भी कमरा बना दिया और दलेलपुरा वज्यानकीपुरा ने मिलकर सहयोग के पैसे से बनवाए चौधरी सोहन सिंह लोचब हरिपुरा झाबर विजारणिया नीमकाथाना श्यामलाल भावरिया ढाणी भवरिया मुलजी खेदड ढाणी खेदडो वाली डा.जवाहरसिंह गोडावास ने भी बनाया डॉ जवाहर सिंह सदैव गरीबों के लिए सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं अब भी लगातार जो भी प्रयास होते हैं वह किए जा रहे हैं डॉ जवाहर सिंह ने अपने जीवन में अनेक विकट परिस्थितियां आने पर भी संघर्ष कर अपने जीवन को आगे बढ़ाएं डॉक्टर जवाहर सिंह से सभी युवाओं को प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए कि आमजन के और गरीब के कल्याण के लिए जो संभव हो प्रयास करना चाहिए।
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