राजा साहब “आजाद हिंद सरकार” व “आजाद हिंद फौज” की स्थापना कर “अखंड भारत” के प्रथम राष्ट्रपति के मानक पद पर आसीन हुए थे।
तेजल ज्ञान मथुरा। महान स्वतन्त्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप की 43 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर, “जाट जनचेतना महासभा” द्वारा, भरतपुर रोड स्थित एक होटल नेवी रिसोर्ट मे एक “विचार संगोष्ठी” का आयोजन किया गया। संस्था सचिव डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह तेवतिया के संचालन मे, उपस्थित वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त कर राजा साहब के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। गैल डायरेक्टर शेरसिंह राणा। ने बताया “विदेशों से भारत की स्वतंत्रता के लिए सहयोग अर्जित कर, काबुल अफगानिस्तान में देश की प्रथम सरकार बनाई, जिस कारण अंग्रेजों ने इनके सिर पर इनाम रख दिया एंव इसके बाद सारा राज्य हड़प लिया था। अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह वर्मा ने कानून व्यवस्था एव विरासत संरक्षण के लिए सहयोग का आग्रह कर, एकजुटता का संदेश दिया। चन्द्र प्रताप सिंह (पूर्व ब्यूरो) ने बताया कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह बहुत से देशों में पहुँचे व भारतीयों पर हो रहे अत्याचार के बारे में विश्व को जागृत किया।
संस्था सचिव डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह तेवतिया ने राजा साहब के जीवन परिचय देते हुए कहा कि 1952 में उन्हें नोबल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था। 1909 में वृन्दावन में “प्रेम महाविद्यालय” की स्थापना की जो तकनीकी शिक्षा के लिए भारत में प्रथम केन्द्र था। मदनमोहन मालवीय इसके उद्धाटन समारोह में उपस्थित रहे। अपने पांच गाँव, वृन्दावन का राजमहल और चल संपत्ति का दान दिया। बनारस हिंदू विश्वद्यालय, अलीगढ़ विश्विद्यालय, के लिए जमीन दान दी। हिन्दू विश्वविद्यालय के बोर्ड के सदस्य भी रहे।
आयोजन में मुख्य रूप से लालसिंह, मानसिंह, संतोष राणा, मोतीलाल, रामदुलारी, मछला, मुरारी, मुकेश, जनक सिंह, बच्चू सिंह वीरपाल, जगवीर सिंह, निरंजन शामिल हुए। संगोष्ठी समापन संस्था अध्यक्ष रामपाल सिंह (पूर्व नेवी) द्वारा महान दानवीर, स्वतन्त्रता सेनानी, राष्ट्रवादी को पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन कर धनयवाद ज्ञापित किया।