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भारत में मतदान के प्रति उदासीनता मतदान प्रतिशत कम

तेजल ज्ञान विदिशा। लाखन सिंह जाट चिंतक विचारक समाजसेवी अधिवक्ता रेलवे सलाहकार जिला मंत्री भारतीय मजदूर संघ अखिल भारतीय जाट महासभा जिला अध्यक्ष
भारत में मतदान के प्रति  उदासीनता मतदान प्रतिशत कम भारत में चुनाव लोकतंत्र का एक महान पर्व है चुनाव प्रक्रिया भारत में हर 5 वर्ष के लिए रहती है देश की जनता को प्रत्येक 5 वर्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर प्राप्त होता है चाहे लोकसभा का चुनाव हो विधानसभा का नगरी निकायों का ग्राम पंचायत का इत्यादि।
भारत में मतदाता मतदान  करने के प्रति इतना उदासीन क्यों है?
भारत का एक बड़ा वर्ग अपने मतदान का मताधिकार का प्रयोग नहीं करता जिसके कारण मतदान प्रतिशत कम होने की संभावना रहती है यह उदासीनता क्यों है इसके अनेकों कारण हो सकते हैं और निवारण भी हो सकते हैं।
भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान करने के लिए और सरल सहज प्रकिया बनाने की आवश्यकता है क्योंकि जनता को बहुत जटिल महसूस होती है यह बहुत बड़ा कारण हो सकता है।
मतदाता केंद्र पर लंबी लंबी लाइन भीड़ ।
मतदान केंद्र पर बैठने की व्यवस्था न होना आलस में वोट नहीं डालूंगा तो क्या होगा ऐसी भावना रखता एक वोट से क्या हो जाएगा इत्यादि
रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में अस्थाई निवास ।
अनेकों प्रदेशों में मतदाताओं के अन्य जगहों पर मतदाता सूची में नाम दर्ज रहना दो दो स्थानों पर जैसे बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा पर कई प्रदेशों में लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र में फर्जी मतदाताओं की मतदाता सूची होना।
जैसे हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से डेढ़ लाख फर्जी मतदाता हटाए गए।
राजनेताओं से निराश, नेताओं पर सवाल।
राजनेताओं द्वारा अपने क्षेत्र में सक्रिय ना होना विकास न करना 5 वर्ष में केवल मतदान के समय आना वोट मांगने के लिए सुख-दुख के साथी ना बनना जनता से बेमानुस्ता रखना बदले की भावना रखता समाजवाद क्षेत्रवाद पंथ संप्रदाय की भावना रखता जातीय संघर्ष।
भारत में जो उच्च शिक्षित वर्ग है वह भी मतदान नहीं करता।
पर भारत में समुदाय ऐसा है जो शत प्रतिशत मतदान करता है थोक वोट करता है यदि वह विदेश में भी है तब भी वोट करेगा अन्य प्रदेश में है तब भी आकर वोट करेगा इसलिए कहते हैं यह समुदाय राशन के लिए प्रदर्शन के लिए और इलेक्शन के लिए बहुत कट्टर होते हैं।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रचार प्रसार किये जा रहे हैं मतदाताओं के बीच में जागरूकता लाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं परंतु मतदान काम हो रहा है यह चिंता का विषय है समाजसेवी संस्थाओं द्वारा मतदान के प्रति प्रेरित किया जा रहा है।
निर्वाचन आयोग को ऐसा प्रयोग भी करना चाहिए जिस प्रकार से मतदान दिवस में शासकीय कार्यालय में अवकाश घोषित किया जाता है स्थानीय मार्केट में भी अपने प्रतिष्ठान बंद करवाना चाहिए केवल और केवल मतदान मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अच्छा प्रयास होगा।
पूर्व विदेश मंत्री पूर्व प्रतिपक्ष नेता विदिशा से पूर्व सांसद श्रीमती सुषमा स्वराज ने भी स्थानीय बाजारों को अपने प्रतिष्ठानों को मतदान दिवस पर बंद रखने का आग्रह किया था सुझाव दिया था।
मतदान एक राष्ट्रीय कर्तव्य,है लोकतंत्र में हर वोट कीमती
मतदान प्रक्रिया में भाग ले मतदाता होने पर गर्व महसूस करें
मतदान की महत्ता को समझे, मतदान हमारा अधिकार है-
अपनी ताकत को पहचान, चलो करें हम सब मतदान।
लोकतंत्र का मान कीजिए छुट्टी नहीं मतदान कीजिए

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