तेजल ज्ञान उज्जैन। उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की हर साल की तरह इस वर्ष भी सावन-भादौ मास में सवारी निकाली जाएगी, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए जिला प्रशासन भगवान महाकाल की परंपरागत सवारी का रूट परिवर्तित करने के साथ-साथ इसे छोटा करने पर विचार कर रहा है। संभावना जताई जा रही है कि इस बार परिवर्तित रूट से भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाएगी।
दरअसल, अगले रविवार, पांच जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व के बाद छह जुलाई, सोमवार से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है। इस बार के श्रावण मास में पांच सोमवार पर्व भी आएंगे, साथ ही आगामी 20 जुलाई सोमवार को श्रावण मास की सोमवती अमावस्या पर्व भी रहेगा।
इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। कोरोना संकट के चलते फिलहाल सीमित संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं, लेकिन श्रावण मास के सोमवार पर्व एवं सोमवती अमावस पर्व पर भारी संख्या में दर्शनार्थियों के आने की संभावना है। सावन हर साल सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते जिला प्रशासन नये रणनीति तैयार करने में जुटा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन का पहला चरण शुरू होने के बाद मार्च के महीने में सभी धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। तब से लेकर महाकाल मंदिर में बीते सात जून तक श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित था। अनलॉक होने के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने सरकार की गाईड लाईन के मुताबिक 08 जून से महाकालेश्वर मंदिर में प्री-बुकिंग के आधार पर श्रद्धालुओं का प्रवेश आरंभ कर दिया था। अभी भी महाकाल में भक्तों को एक दिन पहले ऑनलाइन परमिशन लेने के बाद अगले दिन प्रवेश दिया जा रहा है। वहीं, आगामी 6 जुलाई को सावन का पहला दिन सोमवार को आ रहा है। इसी दिन महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। कुछ दिन पहले मंदिर के पुजारियों ने सुझाव दिया था कि कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर का परंपरागत सवारी रूट आवश्यकता पडऩे पर बदला जाए। इसी के चलते प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि महाकाल सवारी का रूट बड़ा गणेश मंदिर होकर हरसिद्धि के सामने से होते हुए रामघाट तक रखा जा सकता है। शिप्रा पूजन के बाद इसी मार्ग से सवारी वापस मंदिर लौट आएगी। निर्धारित सामाजिक दूरी और संक्रमण फैलने से रोकने के लिए प्रशासन इस पर विचार कर रहा है।
रामघाट पर भीड़ बढ़ी, भिखारियों की भी भरमार
इधर, उज्जैन में शिप्रा नदी पर रामघाट और अन्य जगह भीड़ बढ़ गई है तथा यहां प्रतिदिन बाहर से भी लोग आ रहे हैं तथा उनके पीछे भिखारी पड़ रहे हैं, जहां पर कोई भी न तो मास्क लगाता है और न ही दो गज दूरी का पालन करता है। दरअसल, इस धार्मिक शहर में 75 दिन से अधिक समय तक लॉकडाउन रहने के बाद शिप्रा के घाटों पर पूजन और अन्य विधियां शुरू हुई हैं। इसके चलते शिप्रा नदी पर स्नान करने और पूजन के लिए लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगने के साथ ही भिखारियों का मजमा भी लगने लगा है और भिखारी यहां आने वाले लोगों पर टूट पड़ते हैं और उनका पीछा नहीं छोड़ते। यह भिक्षुक मास्क भी नही पहनते हैं। हालांकि, घाटों पर पुलिस तैनात है और नागरिकों को हिदायत दी जा रही है, इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं।