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किसान नेता राजिन्दर सिंह बडहेड़ी द्वारा डॉ. विश्वनाथ तिवाड़ी को उनकी 37वीं पुण्य-तिथि के अवसर पर नम आंखों से श्रद्धांजलि

‘सन्त भिण्डरांवालों ने कहा था कि डॉ. तिवाड़ी की हत्या ग़लत थी’

बडहेड़ी ने डॉ. तिवाड़ी की षड़यंत्रकारी हत्या की जांच मांगी

तेजल ज्ञान चण्डीगढ़ः
प्रमुख किसान नेता, ऑल इण्डिया जट्ट महासभा के चण्डीगढ़ राज्याध्यक्ष व महासभा के राष्ट्रीय डैलीगेट स. राजिन्दर सिंह बडहेड़ी ने स्वर्गीय प्रोफ़ैसर डॉ. विश्वनाथ तिवाड़ी की 37वीं पुण्य-तिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि भेंट की है। आज स. बडहेड़ी ने अपने उस्ताद प्रोफ़ैसर डॉ. तिवाड़ी को नम आंखों से स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। उन्होंने बताया कि पंजाब युनिवर्सिटी चण्डीगढ़ के वरिष्ठ प्रोफ़ैसर व राज्य सभा सदस्य डॉ. विश्वनाथ तिवाड़ी को कुछ सर-फिरे गुमराह हुए लड़कों ने शहीद कर यिा था। स. बडहेड़ी ने कहा कि तब सन्त जरनैल सिंह भिण्डरांवालों ने यही कहा था कि डॉ. तिवाड़ी की हत्या ग़लत थी।

स. बडहेड़ी ने मांग की कि डॉ. तिवाड़ी की षड़यंत्रकारी हत्या की पुनः जांच होनी चाहिए तथा इस हत्या से संबंधित षड़यंत्रकारियों व हत्यारों के चिहरे नंगे किए जाने चाहिएं। उस समय ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों संबंधी जनता व राजनीतिक दलों को जानकारी अवश्य मिलनी चाहिए।

स. बडहेड़ी ने कहा कि इन के अतिरिक्त वह हरबन्स सिंह मनचन्दा, भूतपूर्व अध्यक्ष – दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी व फतेहाबाद तरन तारन में बस में से निकाल कर मारे गए सात व्यक्तियों के हत्यारों के मामलों की भी केन्द्रीय जांच एजेन्सियों से जांच करवाने की भी मांच करते हैं।

पुरानी यादों को मीडिया के समक्ष रखते हुए स. बडहेड़ी ने बताया कि – मेरे प्रोफ़ैसर डॉ. विश्वनाथ तिवाड़ी को 3 अप्रैल, 1984 को प्रातःकाल समय ही बिना किसी आरोप के गोलियों से सैक्टर 24 में उन्हें व उन की धर्म-पत्नी डॉ. अमृता तिवाड़ी (जो पीजीआई नेहरु अस्पताल में दांतों के डॉक्टर थे) सरकारी आवास पर दहशतगर्द युवाओं ने केवल दहशत फैलाने के उद्देश्य से शहीद कर दिया था।

उन्होंने आगे बताया कि मेरे शहीद प्रोफ़ैसर से बहुत प्यार वाले संबंध थे। वह मेरे पिता स्वर्गीय जत्थेदार अजाब सिंह बडहेड़ी के साथ बहुत अच्छे संबंध थे, जो उस समय शिरोमणी अकाली दल के जनरल हाऊस के राष्ट्रीय डैलीगेट व दल की चण्डीगढ़ राज्य इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे तथा ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष थे। स. बडहेड़ी ने कहा कि डॉ. विश्वनाथ तिवाड़ी का होनहार सुपुत्र मनीष तिवाड़ी, सदस्य लोक सभा भी मेरा परम मित्र है।

स. बडहेड़ी ने संवेदनशील लहजे में यह भी बताया कि – मैं उस समय पढ़ाई के साथ-साथ अकाली राजनीति में भी काफ़ी सक्रियतापूर्वक भाग लेता था तथा यूथ अकाली दल मोहाली सर्कल का सब से कम आयु का संस्थापत सदस्य था तथा सर्कल मोहाली का वरिष्ठ उपाध्यक्ष था। मेरी आयु तब केवल 20 वर्ष 10 माह थी।

स. बडहेड़ी ने यह भी बताया कि मैं 1 जनवरी, 1983 को धर्म-युद्ध मोर्चे में सन्त अजीत सिंह परिवार-विछोड़ा वालों के साथ श्री अमृतसर साहिब कोतवाली में ग्रिफ़्तारी भी दी थी। हमें गुमटाला कारावास अमृतसर में रखा गया था तथा 3 जनवरी, 1983 को रिहा किया गया था।

स. बडहेड़ी ने आगे बताया कि मैं उस समय पढ़ाई के साथ-साथ अकाली राजनीति में भी काफ़ी सक्रियतापूर्वक भाग लेता था तथा यूथ अकाली दल मोहाली सर्कक का सब से अल्पायु का संस्थापक सदस्य था। तब मेरी नियुक्ति सन्त हरचन्द सिंह लौंगोवाल, जो उस समय शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष थ, ने की थी। दल के सचिव गुरचरण सिंह मौजों मस्ती ने 18 जून, 1983 को नियुक्ति पत्र जारी किया था।

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