Breaking News

खट्टर की कोई राजनीतिक समझ नहीं है; पंजाब-हरियाणा जल विवाद को दरबारा सिंह, बादल, भजनलाल और कॉमरेड सुरजीत ने उलझाया: राजिंदर सिंह बडहेड़ी

“अगर इन नेताओं ने पंजाब की पीठ में छुरा नहीं मारा होता, तो 1984 की घटनाएँ नहीं होतीं।”

तेजल ज्ञान चंडीगढ़:
प्रमुख सिख किसान नेता, अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि और चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष श्री राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बयान उनकी राजनीतिक समझ की कमी को दर्शाता है। श्री बडहेड़ी ने कहा कि वास्तव में जब पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद अपने चरम पर था, तब खट्टर वास्तव में आरएसएस के स्वयंसेवक थे और अपनी सब्जी की दुकान चला रहे थे।

गौरतलब है कि हरियाणा में अपनी सरकार के 600 दिन पूरे होने के मौके पर मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि उनके राज्य को सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) की जरूरत है लेकिन पंजाब ने पूरे मामले को उलझा दिया। पंजाब को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हरियाणा के पक्ष में लागू करना चाहिए।

किसान नेता श्री बडहेड़ी ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर, नदी जल विवाद और पंजाबी भाषी क्षेत्रों से जुड़े पंजाब के मुख्य ज्वलंत मुद्दे वास्तव में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दरबारा सिंह, प्रकाश सिंह बादल, हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल और सीपीआई (एम)। कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत जैसे केंद्रीय नेता द्वारा उलझाए गए थे। श्री बडहेड़ी ने कहा कि मनोहर लाल खट्टर को ऐसे तथ्यों की जानकारी नहीं है।

श्री बडहेड़ी ने कहा कि 1982 में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस मसले को सुलझा रही थीं, तब शिरोमणि अकाली दल भी उस पर तैयार था. शिरोमणि अकाली दल के सरदार रविइंदर सिंह और कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे को सुलझाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी लेकिन हरकिशन सिंह सुरजीत, प्रकाश सिंह बादल और अन्य ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को उलझा दिया था। नुकसान सिर्फ पंजाब और पंजाब की जनता ने उठाया। उस समय सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हरकिशन सिंह सुरजीत कहा करते थे, “मैं केंद्रीय नेता हूं और मुझे केवल पंजाब के हितों की नहीं करनी है, बल्कि मुझे सभी की देखभाल करनी है।” यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सुरजीत ने पंजाब की पीठ में छुरा घोंपा।

तभी पंजाब की समस्या जटिल हो गई। पंजाब पुलिस ने 40 हजार युवकों को मार डाला। यदि इंदिरा गांधी ने 1982 में इस समस्या का समाधान किया होता तो 1984 की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी नहीं होतीं।

Check Also

ਬਡਹੇੜੀ ਵੱਲੋਂ ਸੀਨੀਅਰ ਅਕਾਲੀ ਨੇਤਾ ਸ੍ਰ ਸੁਖਦੇਵ ਸਿੰਘ ਢੀਂਡਸਾ ਦੇ ਦਿਹਾਂਤ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਦੇ ਵੀ ਨਾ ਪੂਰਿਆ ਜਾਣ ਵਾਲ਼ਾ ਘਾਟਾ

🔊 Listen to this ਉੱਘੇ ਸਿੱਖ ਕਿਸਾਨ ਆਗੂ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਮੰਡੀ ਬੋਰਡ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਡਾਇਰੈਕਟਰ …