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गोटन में कजरी तीज का पर्व उत्साह से मनाया

तेजल ज्ञान गोटन (दिनेश कड़वासरा)। हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज का पर्व भी महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए सुहागिने कई सारे व्रत रखती है, कजरी तीज उन्ही में से एक महत्वपूर्ण व्रत है।भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार 25 अगस्त को यह त्यौहार मनाया गया। यह पर्व उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज व सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। जिस तरह से हरियाली तीज का पर्व महिलाओ के लिए बहुत मायने रखता है। उसी तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है।
शारिरिक शिक्षक ऊषा चौधरी ने संवाददाता दिनेश कड़वासरा को जानकारी देते हुए बताया कि कजरी तीज के दिन महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती है। यह व्रत सुहागन स्त्रियां सुख-समृद्धि की कामना के लिए करती है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। ऊषा चौधरी ने बताया कि गर्भवती महिलाएं जल और फलाहार ले सकती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है। गाय की पूजा करने के बाद गाय को आटे की सात लोइयों पर गुड़ और घी रखकर खिलाया जाता है। उसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। कजरी तीज में सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए व्रत- उपवास रखती है और कुंवारी लड़कियां मनवांछित वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखती हैं।

इस दिन झूला भी झूला जाता हैं:-
महिलाएं कजरी तीज पर्व के दिन स्वादिष्ट भोजन पकवान बनाती है,जैसे मालपुआ और घेवर के कई विशेष व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं। माता पार्वती के सामने गाना गाते हुए नृत्य भी करती है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली का आनंद लेते हुए इस दिन झूला झूलते हुए गीत भी गाती हैं। ऊषा चौधरी ने बताया कि कजरी तीज के बारे में ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा करने का विधान है। कई स्थानों पर कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं 16 श्रंगार करती हैं और सुहाग का सामान माता पार्वती को भी अर्पित करती है। गोटन के समीपवर्ती कस्बे तालनपुर में ऊषा चौधरी, गणपति, सुशीला,सोनू,डिम्पल, सरला आदि युवतियों ने झूला झूलते हुए कजली तीज का पर्व उत्साह व उमंग के साथ मनाया।

 

 

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