तेजल ज्ञान कौशल्या चौधरी। सी. आर. चौधरी पूर्व केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार, और पूनाराम चौधरी जिला प्रमुख जोधपुर पूर्व से मुलाकात कर वर्तमान शिक्षा पद्दति के साथ संस्कृति, संस्कारों और भाषा की महता के बारे में अपने विचार व्यक्त किये और राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की संभावनाओ पर भी चर्चा की।
आप दोनों क्रमशः वीर तेजा महिला शिक्षण एवं शोध संस्थान, तेजास्थली मारवाड़-मुंडवा, नागौर और भारत शिक्षण संस्थान, जोधपुर के माध्यम से शिक्षण क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
भारतीय संस्कृति ने हमेशा शैक्षिक और उससे सम्बंधित संस्थानों को विद्या-मंदिर का सम्माननीय स्थान दिया है। शिक्षा अगर स्तम्भ है तो नींव है संस्कार, सद्गुण सुख की खान है जिस पर टिका संसार, भाषा सामाजीकरण और शिक्षा में अहम् भूमिका अदा करती है। छात्रों को अपने देश की स्थानीय भाषाओं से परिचित होना जरूरी है। क्योंकि उसी के ज़रिए वो अपनी संस्कृति की आत्मा को गहराई से जान सकते हैं, शिक्षकों को भी शिक्षा के साथ छात्रों में अच्छे संस्कार पैदा करने चाहिए।

आज समाज में बहुत सारी बुराइयां फैली हुई हैं, बच्चों को बुराइयों से दूर रख़ने के लिए अच्छाई का ज्ञान कराना भी जरूरी है, बच्चे देश के भविष्य निर्माता हैं ओर उनका निर्माण इस तरह से किया जाए कि वे देश के विकास में अपना अहम योगदान दे सकें।
व्यक्तित्व के विकास में शिक्षा व संस्कार का होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। शिक्षक बच्चों को ज्ञान देने के साथ-साथ संस्कार भी सिखाता है। अच्छा शिक्षक वही है जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ-साथ जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए सही मार्ग दर्शन भी करे।
मैं अभिभावकों से भी आग्रह करती हूँ कि बच्चों को शिक्षा के प्रति कोई तनाव न देकर उन्हें घर में ऐसा माहौल दें जिससे कि वे शिक्षा को बोझ न समझें।

SidhiMarwadi #Kaushalya_Choudhary

