तेजल ज्ञान श्याम चौधरी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोगों की मंगलवार को सेना के हेलिकॉप्टर क्रैश में जान चल गई। 13 लोगों की पुष्टि पहले ही हो गई थी जबकि जनरल रावत का गंभीर हालत में इलाज चल रहा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस हादसे के चलते उत्तराखंड में सीडीएस रावत के गांव का माहौल बेहद गमगीन हो गया। आइए जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के उस सपने के बारे में जानते हैं, जो वे रिटायरमेंट के बाद जीना चाहते थे।

हर कदम पर पति का दिया साथ
बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत मध्य प्रदेश के शहडोल से ताल्लुक रखती थीं। रियासतदार कुंवर मृगेंद्र सिंह उनके पिता हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया था। वह कई तरह का सोशल वर्क करती रहीं। मधुलिका परिवार संभालने के साथ-साथ आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं। इसके तहत वह शहीदों की पत्नियों के जीवनयापन, विकास के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करती रहती थीं। रावत की बड़ी बेटी कृतिका रावत मुंबई में रहती हैं। वहीं, छोटी बेटी तारिणी रावत अभी पढ़ रही हैं।
उत्तराखंड से गहरा नाता
सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में गांव सैण बमरौली ग्रामसभा के है। देहरादून में जनरल बिपिन रावत का घर भी बन रहा है। वे थलसेना के प्रमुख रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था। वहीं, इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए।
रिटायरमेंट बाद पैतृक गांव में रहना चाहते थे रावत
साल 2019 में जनरल बिपिन रावत ने इच्छा जताई थी कि वह रिटायरमेंट के बाद अपने पैतृक गांव में ही रहेंगे। वे 2004 में अपने मामा ठाकुर बीरेंद्रपाल सिंह परमार के साथ थाती गांव आए थे। उसके बाद 2019 में उन्हें ननिहाल आने का मौका मिला था। उन्होंने गांव के छोटे-बड़े बच्चों और बुजुर्गों से मुलाकात कर रिटायरमेंट के बाद थाती गांव में ही रहने की बात कही थी।
2015 में भी बिपिन रावत एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बचे थे
बिपिन रावत ने देहरादून में कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पढ़ाई की। 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की। वहीं, सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध पूरा किया है। साल 2015 में भी बिपिन रावत एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बच निकले थे।
कारगिल युद्ध में भी थे शामिल
साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में भी जनरल रावत ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत को जीत मिली थी। इसके अलावा उनके नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था।
विशिष्ट सेवाओं के लिए कई बार हुए सम्मानित
जनरल बिपिन रावत को ज्यादा ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद विरोधी अभियानों में कमान संभालने का खासा अनुभव रहा है। उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया है, जिनमें यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, सीओएएस प्रशस्ति शामिल हैं।