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माँ ने बेटे के अरमानों को दिया हौसला

तेजल ज्ञान रिकबाराम बोला झुंझुनूं। बेटे ने रात दिन मेहनत कर उन हौसलों से UPSC पास कर परिवार की गरीबी मिटा दी कहते हैं किस्मत भी मेहनत करने वाले का ही साथ देती है, व्यक्ति जब मेहनत करता है तो ये संभावना पैदा होती है कि उसका कल उसके आज से बेहतर होगा और मेहनत करने का कारण भी यही होता, जो व्यक्ति चाहता है कि वो अपने दम पर कुछ कर दिखाये और अपना व अपने परिवार का नाम रोशन करे तो उस सपने के लिए जो सबसे ज़रूरी काम होता है वो होती है उसकी मेहनत यही मेहनत उसका भविष्य तय करती है। कुछ लोग केवल घर बैठे बिना मेहनत के सपने देखते हैं और कुछ अपने सपनों के लिए मेहनत करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने अपने सपने को एक बार नहीं बल्कि दो-दो पूरा किया. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे देश की सबसे कठिन परीक्षा में 2 बार सफलता हासिल की। कौन हैं। IAS गौरव बुडानिया राजस्थान के झुंझुनूं जिले से आने वाले गौरव एक शिक्षक के बेटे हैं। इनका बचपन राजस्थान के चुरू में बीता और वहाँ से स्कूली शिक्षा पूरी की। गौरव शुरुआती दौर से ही एक ब्रिलियन्ट स्टूडेंट रहे हैं। बहुत अच्छे अंकों से बारहवीं कक्षा पास करके ये ग्रेजुएशन करने आईआईटी BHU चले गए और काफी अच्छा अनुभव लेकर पास हुए।
इनको बीटेक करने बाद ही किसी कंपनी में एक अच्छी जॉब मिल रही थी लेकिन इन्होंने upsc को चुना और जॉब नहीं ली इसमें परिवार ने भी इनका पूरा साथ दिया। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद गौरव बुडानिया ने upsc परीक्षा में सोशियोलॉजी को ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर रखने के मकसद से सोशियोलॉजी से MA की पढ़ाई पूरी की। अपनी MA की पढ़ाई अच्छे से करने के बाद गौरव ने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।आखिर क्या थी इनकी स्ट्रेटजी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के संबंध में गौरव बताते हैं कि सिलेबस पर उनका बहुत ज़्यादा फोकस था।उन्होंने सिलेबस कई बार देखा और फिर स्ट्रेटजी बनाई। जिसमें किताब के चयन से लेकर नोट्स बनाने की चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि किताबों का सेलेक्शन काफी ध्यान से किया जाना चाहिए और पढ़ते समय साथ ही साथ नोट्स भी बनाते रहना चाहिए जिससे अंतिम समय में सिलेबस को जल्द से जल्द रिवाइज किया जा सके। इनके अनुसार देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के साथ ही सही रणनीति और सकारात्मक सोच रखना भी उतना ही आवश्यक है, जितना की पढ़ना।13वीं रैंक हासिल कर बने IAS अधिकारी साल 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में 12वीं रैंक के साथ उन्होंने परीक्षा पास की। जिसके बाद वो एसडीएम के तौर पर काम करने लगे। भारतीय सिविल सेवा में भी लगभग दो साल बाद साल 2020 में 13वीं रैंक हासिल कर गौरव IAS अधिकारी बन गए। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि उन्होंने PCS की ट्रेनिंग भी पूरी कर ली थी और सर्विस जॉइन करने वाले थे कि तभी किस्मत ने साथ दिया और ज्वाइ करने से कुछ दिन पहले ही upsc का रिजल्ट आ गया और वो अब PCS नहीं बल्कि ias अफसर बनने वाले थे। राजस्थान के इतिहास में शायद ही कोई अन्य व्यक्ति इतने कम समय में ये दोनों परीक्षाएं पास कर पाया था। दो ही महीनों में दो बार प्रशासनिक सेवा में आकर गौरव इतिहास रच दिया। गौरव उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो upsc या अन्य प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा से डर जाते हैं, इन्होंने उदाहरण सेट किया कि मेहनत और लगन से कोई भी परीक्षा पास की जा सकती है।

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