तेजल ज्ञान चंडीगढ़, 18 जुलाई:
जज़्बाती सिख और प्रख्यात किसान नेता राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि भारत के 16वें राष्ट्रपति पद के लिए आज चुनाव हो गए हैं। इसी बीच पंजाब की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है कि शिरोमणि अकाली के विधानसभा क्षेत्र दाखा से विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी से नाराजगी भी जाहिर की है। बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों द्वारा उम्मीदवार के रूप में घोषित उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है। बडहेड़ी ने नेता मनप्रीत सिंह अयाली ने इस कदम की प्रशंसा की है। इस कदम ने बादल परिवार को एक बड़ा झटका दिया है क्योंकि बादल परिवार ने हमेशा अपने निजी हितों के लिए शिरोमणि अकाली दल के हितों की अनदेखी की है। आज सरदार मनप्रीत सिंह अयाली ने आवाज़ बुलंद कर बादलों को शीशा दिखाया है कि सभी नेता मृत ज़मीर वाले नहीं हैं। बडहेड़ी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से अपील की है कि वे बादलों को
वंगारने वाले मालवे के दलेर जरनैल सरदार अयाली का सम्मान करें और उन्हें फखर-ए-कौम की उपाधि से सम्मानित करें और इस कार्रवाई से पहले प्रकाश सिंह बादल को पूर्व जत्थेदार गुरबचन सिंह द्वारा दिए गए फखर-ए-कौम के सम्मान को वापस लेकर अकाली फूला सिंह की भूमिका अदा करें। बडहेड़ी ने शोरमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी से भी अनुरोध किया कि कमेटी सरदार मनप्रीत सिंह अयाली को भी सम्मानित करे ताकि पूरा सिख जगत यह समझे कि बादल का राजनीतिक आधार खत्म हो गया है, अब बादलों का सिख संस्थानों पर नियंत्रण हटाने का आंदोलन आगे बढ़ गया है जो तूफान बनकर बादलों सफाया कर देगा। यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि 19 साल पहले 19 जुलाई, 2003 को बाबा सरबजोत सिंह बेदी के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू जालंधर में अकाली दल-1920 के नाम से शुरू किया गया था, जब सरदार रवि इंदर सिंह ने अकाली दल-1920 को अग्रणी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई। उस बड़ी सभा में जत्थेदार जगदेव सिंह तलवंडी, जत्थेदार दर्शन सिंह ईसापुर, भाई बीर सिंह मीठापुर जालंधर, जत्थेदार मल्ल सिंह घुमन, सरदार बलदेव सिंह ख़िआला, पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब भाई जसबीर सिंह रोड़े, उस समय के अकाली नेताओं की एक बड़ी संख्या और अकाली दल के लगभग बीस हजार कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया। उनमें से कई नेताओं को बादलों ने खरीद लिया जो बिकने के लिए इधर-उधर घूमते थे। बडहेड़ी ने कहा कि अब टकसाली अकाली जाग गए हैं और बादलों को घर में बिठाने के लिए भावनात्मक रूप से लड़ने में सक्षम हैं, क्योंकि बादलों को अब भाजपा ने भी मांजने का मन बना लिया है।
