
तेजल ज्ञान महेंद्र सिंह खोखर राजस्थान। जयपुर निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल के सामने एबीवीपी, एनएसयूआई के अलावा एक राज्य मंत्री की बेटी भी उम्मीदवार थी। नागौर के छोटे से गांव धामणिया के निर्मल चौधरी राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद तक पहुंच गए हैं। निर्मल की रात-दिन की मेहनत और उसके जुझारूपन ने ही उसे आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया। साधारण परिवार में जन्मे निर्मल के पिता दयालराम चौधरी पेशे से सरकारी अध्यापक हैं। वहीं, उनकी माता रूपादेवी साधारण गृहणी हैं। साथ ही मां रूपादेवी खेतीबाड़ी भी देखती हैं। निर्मल भी समय मिलने पर मां को खेती के काम में हाथ बंटाते हैं। छात्रसंघ चुनाव में इस बार शुरू से जातिवाद हावी रहा है। एनएसयूआई से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्मल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा था। निर्मल ने सर्वसमाज को साथ लेकर चले। उनके सर्वसमाज अभियान और सोशल मीडिया पर पकड़ ने ही उन्हें अंत में विजय दिलाई। निर्मल चौधरी अपने काम-काज और हर किसी की मदद के चलते छात्र-छात्राओं में काफी पॉपुलर रहे हैं। निर्मल के प्रचार अभियान में छात्राओं का भी बेहद योगदान रहा है। निर्मल चौधरी को छात्र राजनीति में लाने का श्रेय लाडनूं विधायक मुकेश भाखर को जाता हैं। भाखर ही चौधरी के राजनीतिक गुरु बताए जाते हैं। भाखर का राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी दबदबा रहा है।
निर्मल चौधरी की धमाकेदार जीत पर हार्दिक शुभकामनाएँ राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर कोरोना महामारी में छात्रों की हर संभव मदद कर सदैव छात्र हितों के लिए संघर्ष कर कार्य किया है।



