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युवाओं को अंधकार में धकेल रहा नशा-हरिराम जाट

*हरीराम जाट*
*नसीराबाद,अजमेर(राज.)*
*94613-76979*
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तेजल ज्ञान अजमेर। नशा एक धीमा जहर है। इसके सेवन से मनुष्य का जीवन अंधकार में डूब रहा है।
नशा एक धीमा जहर है। इसके सेवन से मनुष्य का जीवन अंधकार में डूब रहा है। आज की युवा पीढ़ी शराब,बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, उत्पाद, चरस, अफीम सहित अन्य नशीले पदार्थो का इस्तेमाल कर रही है। नशे की लत युवाओं को पथभ्रष्ट कर रही है। नशा न केवल व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक नुकसान करता है बल्कि उसके परिवार को भी पतन की ओर धकेल देता है। समाज में अपराध की मुख्य वजह नशा ही माना गया है।
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_भारत का संविधान में नशे के बारे में क्या लिखा हुआ है देखिए और समझिए जरा……!_
*•√भाग 4,राज्य के नीति निदेशक तत्व*
*•√अनुच्छेद:47. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य*
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*_•√राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने और लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशिष्टतया, मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकर ओषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।_*
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समाज में अधिकतर अपराधों की वजह नशा माना गया है। पहले तो युवा स्कूल व कॉलेज में बीड़ी, सिगरेट व गुटखा का सेवन मस्ती करने के लिए करते हैं लेकिन बाद में इनकी लत लग जाती है। कुछ तो शराब, चरस व अफीम के इतने आदी हो जाते हैं कि इनसे छुटकारा पाना उनके लिए मुश्किल होता है। नशा चाहे किसी भी प्रकार का हो इससे मानसिक व शारीरिक नुकसान पहुंचता है। युवाओं को मादक पदार्थो का सेवन करने से बचना चाहिए। पुलिस समय-समय पर सार्वजनिक स्थानों पर दबिश देकर नशे का सेवन करने वालों पर शिकंजा तो कस रही है लेकिन आम जनता का भी सहयोग अपेक्षित है। युवाओं को जागरूक रैलियों के माध्यम से भी नशा न करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
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मादक पदार्थ मनुष्य के दिमाग पर बुरा असर छोड़ते हैं। सोसायटी में दिखावे के लिए किया गया नशा युवाओं को भविष्य तबाह कर सकता है। अभिभावकों को इसकी जानकारी कम होती है कि उनका बच्चा क्या कर रहा है। युवा कई बार पढ़ाई के नाम पर पैसा लेकर मादक पदार्थो का सेवन करते हैं। वे ऐसा करके ने केवल अपना ही बल्कि परिवार का भी पतन करते हैं। नशे की मुक्ति के लिए उपाय यह भी है कि समाज में नशे की बिक्री करने वालों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। इसके लिए प्रदेश सरकार को भी कड़े निर्णय लेने होंगें।
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प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ कई अभियान चला रखे हैं। स्कूल व कॉलेजों के माध्यम से नशे के खिलाफ जागरूकता रैलियां भी निकाली जाती हैं। इसका प्रभाव भी देखा गया है। सार्वजनिक स्थानों पर नशे के सेवन पर रोक लग चुकी है लेकिन समाज में नशे का सेवन पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो पाया है। 90 प्रंतिशत अपराध की वजह नशा ही है। इसके सेवन से सड़क दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। सरकार के साथ आम जनता की भी यह जिम्मेवारी बनती है कि वह स्वयं नशे का बहिष्कार करे तथा युवाओं को भी इसके दुष्परिणाम बताए। तभी एक नशा मुक्त समाज की स्थापना हो सकती है।
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युवाओं को नशे से बचाने के लिए समाज में धार्मिक गतिविधियों का भी आयोजन समय-समय पर करना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी का ध्यान नशे की ओर कम और धार्मिक गतिविधियों पर अधिक रहेगा। शहर में बेचे जा रहे प्रतिबंधित मादक पदार्थो की जानकारी आम जनता को पुलिस तक पहुंचानी चाहिए। युवाओं का उज्जवल भविष्य तभी बन पाएगा जब समाज में नशे की बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगेगा।
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नशा समाज में कैंसर की बीमारी से कम नहीं है। इसका सेवन करने वाले अपने आप को तबाह कर रहे हैं। साथ में परिवार के अन्य सदस्यों को भी मुसीबत में डाल रहे हैं। नशे में व्यक्ति की सोचने व समझने की समझ नहीं रहती है। तैश में आकर कई बार अपराध हो जाता है। इसलिए नशा करने से बचना चाहिए। इस पर खर्च किए जाने वाले पैसे को अपने भविष्य को उज्जवल बनाने में इस्तेमाल करना चाहिए।
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अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की गतिविधिओं पर नजर रखें। उन्हें यह भी जानकारी रखनी होगी कि उनके बच्चे दिनभर क्या कर रहे हैं। रात को अगर वे देरी से पहुंच रहे हैं तो इस बारे में बच्चों से जरूर पूछना चाहिए। समय-समय पर बच्चों की गतिविधियों की जानकारी स्कूल व कॉलेज प्रबंधन से लेनी चाहिए। समाज में नशा गंभीर बीमारी बनकर पनप रहा है। बच्चों की मानसिक व शारीरिक क्षमता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। युवा नशे के दलदल में धंसता जा रहा है।
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पहले परिवार में बड़े बुजुर्ग के डर से बच्चों से नशे का सेवन करना तो दूर इस पर चर्चा भी नहीं करते थे। एकल परिवार होने की वजह से अब बड़े बुजुर्गो का किसी को डर नहीं रहा है। माता-पिता दिनभर काम में रहते हैं जबकि उनके बच्चे क्या करते हैं, इसका उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं होता है। इससे बच्चे गलत राह पकड़ लेते हैं, क्योंकि उन्हें पूछने वाला कोई नहीं होता। युवाओं को यह समझना होना की उनके माता-पिता किस हालात में उनके उज्जवल भविष्य बनाने के लिए दिनरात मेहनत कर रहे हैं।

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