मनुष्य जीवन ईश्वर का दिया एक अनमोल उपहार है। इसे व्यर्थ न जाने देने की हमेशा नसीहतें दी जाती हैं। अफसोस आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में मनुष्य के लिए नसीहतों का कोई मूल्य ही नहीं रहा है। अर्थ प्रधान युग में जीवन पर अर्थ इस कदर हावी हो गया …
Read More »सम्पादकीय
संपादकीय-व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना बहुत ही आवश्यक है।
परिचयव्यक्ति का परिवार उसका छोटा संसार होता है। हम अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त कर पाते हैं, वह परिवार के सहयोग और समर्थन स्वरूप ही प्राप्त कर पाते हैं। हमारे पालन-पोषण को हमारा परिवार अपनी पहली प्राथमिकता समझता है और जब तक हम सक्षम नहीं हो जाते हमारी …
Read More »संपादकीय :-“मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो कि कामयाबी शोर मचा दे।”
यह पंक्तियां उन लोगों पर एकदम फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने काम को बड़ी खामोशी व खूबसूरती के साथ अंजाम दिया और जब उन्हें सफलता मिली तो उसे दुनिया ने सराहा। जीवन के अनुभव भी विचित्र ही होते हैं। पाया तो यही है कि जो न तो मेहनत करते हैं, …
Read More »संपादकीय-तेजल ज्ञान जाट समाचार पत्र के स्थापना दिवस की आप सभी स्वजातिय बंधुओं, पाठकों, लेखकों, विज्ञापनदाताओं, को हार्दिक-हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
समाचार पत्र टीम वर्क है, जो बिना किसी के स्नेह रुपी सहयोग और शुभकामना के रूप में मिले आशीर्वाद के निरंतरता प्रदान करना संभव नहीं हैं। समाचार पत्र में अकेला चना कभी भाड़ नहीं फोड़ सकता, अखबार के संदर्भ मैं कोई भी व्यक्ति या कहे कि मैंने अखबार को निकाला …
Read More »संपादकीय-समाज सुधार कैसे हो?
“पहले स्वयं सुधरो, फिर दुनिया को सुधारना” एवं “क्या करें दुनिया ही ऐसी है”। वस्तुतः यह दोनो कथन विरोधाभासी है। या यह कहें कि ये दोनो कथन मायावी बहाने मात्र है। स्वयं से सुधार इसलिए नहीं हो सकता कि दुनिया में अनाचार फैला है, स्वयं के सदाचारी बनने से कार्य …
Read More »संपादकीय-जीवन में सुख और दुख धूप-छांव की तरह आते-जाते रहते हैं…
।।जय श्री श्याम।। हमारे जीवन में बहुत सी स्थितियों के संबंध दूसरों के साथ कैसे हैं? हमारे अंदर की बातचीत का स्वरूप कैसा है। हमारा दूसरों के साथ, मित्र, परिवार जनों या सहकर्मी के साथ कैसा बर्ताव है। हम दूसरों के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखते हैं? वह भी कुछ हद …
Read More »हमारा समाज आज बच्चों के विवाह को लेकर इतना सजग हो गया हे कि आपस मे रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हें आप इस उदाहरण से शायद अच्छे से समझ पायें-तेजल ज्ञान
एक युवती के परिजन एक संत के पास अपनी जिज्ञासा लेकर पहुंचे वह बोले- महाराज। अपनी बेटी का विवाह करना चाहते हें हमने अनेक युवको को देख भी लिया है, परन्तु अभी तक कोई सबसे योग्य युवक नहीं मिला। “संत बोले-बेटे। तुम पहले फूलो के बगीचे में से सबसे सुन्दर …
Read More »संपादकीय-जैसे संस्कार वैसा जीवन
कौन व्यक्ति कैसा है यह इसकी सही पहचान उसके रंग-रूप-जाति से नहीं, वरन उसके जीवनगत संस्कार से होती है। व्यक्ति के संस्कार ऊँचे हो तो छोटा होकर भी उच्च आदर्श को स्थापित कर जायेगा। यदि व्यक्ति पर संस्कार निम्न है तो उसके ऊँचे कुल में पैदा होकर भी कुलिनता पर …
Read More »मेरे जन्मदिन के अवसर पर शुभकामनाएं देने के लिए धन्यवाद एवं बहुत आभार आप सभी का
तेजल ज्ञान उज्जैन। 20 अगस्त को मेरे जन्मदिन के अवसर पर आप सभी मित्रों, स्नेहीजनों, बड़ो का स्नेह आशीष, दुलार और अपनापन से ओत-प्रोत शुभकामनाएं, बधाई सन्देश बड़ी संख्या में प्राप्त हुए है। मै बहुत खुशी और आदर के साथ आप सब के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और आशा …
Read More »संपादकीय-हमारी सामाजिक जिम्मेदारी क्या है?
हमारे समाज मैं आजकल इतनी ज्यादा कुरीतिया आ गयी है की इनको किसी एक के हटाने से नहीं हट सकती हम सबको एकजुट होकर प्रयास करना होगा “एकजुट ” का मतलब कोई बहुत बड़ा मोर्चा नहीं निकालना हम सबको केवल अपने आपको बदलना होगा अपनी सोच को अपनी संस्कृति और …
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